जेएनयू मुक़द्दमे की तहक़ीक़ात में पुलिस कमिशनर दिल्ली के ख़िलाफ़ दरख़ास्तों की इजतेमाई समात

नई दिल्ली: दिल्ली हाइकोर्ट ने आज पुलिस के सरबराह बी एस बसी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की ख़ाहिश करने वाली एक दरख़ास्त को मुस्तरद कर दिया क्योंकि इल्ज़ाम आइद किया गया था कि जेएनयू ग़द्दारी मुक़द्दमे की तहक़ीक़ात पर पुलिस कमिशनर दिल्ली अपना असरोरसूख़ इस्तेमाल करते हुए उन्हें मुतास्सिर कर रहे हैं जो मफ़ाद-ए-आम्मा के ख़िलाफ़ है।

अदालत ने कहा कि इस के पास इस नौईयत की दरख़ास्तों का एक अंबार है। इस लिए ताज़ा दरख़ास्त की अलाहदा तौर पर समात नहीं की जा सकती लेकिन इस दरख़ास्त को दीगर दरख़ास्तों के साथ इजतिमाई समात के लिए क़बूल किया जा सकता है। उन्होंने क़ानून मुस्तहकम है अगर आपके पास अख़बारी इत्तेलात के अलावा कोई और सुबूत मौजूद हो तो आप पेश कर सकते हैं वर्ना हम इस किस्म की दरख़ास्तों का बोझ अदालत पर आइद नहीं कर सकते सिवाए अख़बारी इत्तेलात हमें कोई दूसरा मवाद इस दरख़ास्त में नहीं मिला है।
उसे मुस्तरद किया जाता है।

बेंच ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट में ये मामला ज़ेर-ए-इलतिवा है और तहक़ीक़ात जारी हैं। दरख़ास्त में दावा किया गया था कि पुलिस बाज़ सियासी पार्टीयों के इशारों पर नाच रही है। इसी वजह से दिल्ली पुलिस के कमिशनर बसी ने हिदायत की है कि 16 और 17 फ़रव‌री को उन्होंने जो बयानात दिए हैं, उनसे उसका साफ़ इज़हार होता है।

क़ानूनदां पांडे ने अपनी दरख़ास्त में दावा किया है कि तहक़ीक़ाती ओहदेदार माम्ले की मुंसिफ़ाना तहक़ीक़ात नहीं कर सकते क्योंकि उन पर गै़रज़रूरी असरोरसूख़ और दबाओ इस्तेमाल किया जा रहा है|