जेलों में क़ैद मुस्लिम नौजवानों को क़ानूनी मदद

मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ दहश्तगर्दी के मुक़द्दमात की आजलाना समाअत के मांग‌ के बीच‌ मर्कज़ी वज़ारत-ए-दाख़िला ने इस किस्म के मुक़द्दमात में क़ैद बाज़ मुस्लिम नौजवानों को क़ानूनी इमदाद की फ़राहमी और ख़ुसूसी अदालतों के क़ियाम पर ग़ौर करने का ऐलान किया है।

क़ौमी तहक़ीक़ाती एजैंसी (एन आई ए) की जानिब से 39 ख़ुसूसी अदालतों में दायर करदा मुक़द्दमात के बाद मर्कज़ ने ये क़दम उठाया है। उन मुक़द्दमात में तक़रीबन तमाम मुल्ज़िमीन मुस्लमान ही हैं। वज़ारत-ए-दाख़िला के एक सीनियर ओहदेदार ने आज कहा कि जेलों में क़ैद ऐसे मुस्लिम नौजवानों के बारे में वाजिबी-ओ-जायज़ तशवीश का इज़हार किया गया है।

उनके ख़िलाफ़ मुक़द्दमात की आजलाना यकसूई और जायज़ इंसाफ़ दिलाने के लिए क़ानूनी इमदाद की फ़राहमी ज़ेर-ए-ग़ौर है। वज़ीर-ए‍क़लियती उमूर् के रहमान ख़ान ने उस सवाल के अवायल में मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शिंदे से मुलाक़ात करते हुए मुल्क के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों की गिरफ़्तारियों और उन्हें दहश्तगर्दी के मुक़द्दमात में फंसाए जाने के वाक़ियात पर मुस्लिम तबक़ा में पैदा शूदा तशवीश और बेचैनी से भी शिंदे को वाक़िफ़ करवाया था।

रहमान ख़ान ने दहश्तगर्दी के तमाम मुक़द्दमात की आजलाना समाअत और यकसूई को यक़ीनी बनाने के लिए ख़ुसूसी अदालतों के क़ियाम की तजवीज़ भी पेश की थी और शिंदे ने उन तमाम तजावीज़ से इत्तिफ़ाक़ करलिया था और तहरीरी तौर पर तमाम मसाइल की यकसूई का यकीन‌ दिया था।