समझौता ब्लास्ट के मुल्ज़िम स्वामी असीमानंद ने जेल सुप्रीटेंडेंट को दिए तहरीरी बयान में कहा है कि उन्होंने कभी भी संघ के चीफ का नाम नहीं लिया है। एक मैगजीन के दावे के बाद जेल के डायरेक्टर जनरल ने रिपोर्ट अंबाला सेंट्रल जेल इंतेज़ामिया से तलब की है।
इसके बाद बीते दिन जेल इंतेज़ामिया ने असीमानंद से पूछताछ की थी। ज़राये के मुताबिक इसी मामले में स्वामी असीमानंद ने अपना एक तहरीरी बयान (बतौर सफाई) जेल सुप्रीटेंडेंट को दे दिया है।
ज़राये के मुताबिक बयान में स्वामी असीमानंद ने बताया है कि जेल में उनसे मिलने कई वकील आते हैं। लेकिन उन्होंने पूछताछ के दौरान समझौता कांड में आरएसएस चीफ मोहन भागवत का नाम नहीं जोड़ा है। उन्होंने इस बात को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है। उन्होंने मिलने आने वाले वकीलों से सिर्फ अपने केस के मुताल्लिक ही बातचीत ही की है। उधर एक असिस्टेंट वकील ने असीमानंद से मुलाकात की है।
ज़राये के मुताबिक जेल इंतेज़ामिया ने इस मामले में उन तमाम मुलाकातियों की लिस्ट खंगालनी शुरू कर दी है। इस साल 9 और 17 जनवरी को वकील बनकर दिल्ली से मिलने आई एक खातून दो मर्तबा असीमानंद से मिली थी।
इस खातून ने बैरक में ही एक जेल अफसर की निगरानी में स्वामी असीमानंद से बातचीत की। खातून वकील ने असीमानंद को बताया कि अब वह भी उनका केस लड़ेगी और इसी सिलसिले में वह उनसे कुछ मालूमात हासिल करना चाहती है।
उधर, अपने बयानों में असीमानंद का दावा है कि खातून से बातचीत में भी उन्होंने आरएसएस चीफ का कभी नाम नहीं लिया।जेल में असीमानंद से मिलने आने वाले वकीलों की मुलाकात जेल ऑथोरिटी की निगरानी में होती थी। मगर उसके बावजूद अंबाला सेंट्रल जेल से ही एक मुबय्यना इंटरव्यू में असीमानंद के हवाले से बाहर आई समझौता कांड और मोहन भागवत के बीच कड़ी होने की बात ने जो ममला खड़ा कर दिया है, उससे जेल अफसरों की टेंशन काफी बढ़ गई है।
अगर ऐसा हुआ है तो अंबाला जेल इंतेज़ामिया के तरीकेकार पर सवाल खड़ा होता है। ज़राये बताते हैं इस तरह के पैदा हुए तनाजो को देखते हुए हाईकमान स्वामी असीमानंद की जेल बदलने पर भी गौर कर रहा है। इस मामले की जांच के बाद स्वामी असीमानंद का जेल बदला जा सकता है।