जेल में मुसलमानों के साथ रख कर टॉर्चर किया जा रहा है: कैदी

अहमदाबाद: मर्डर के केस में जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे एक शख्स ने गुजरात पुलिस के महकमा जेल को खत लिखकर इस्लाम कबूलने की इजाजत मांगी है. जिगनेश सोनी नाम के इस बंदी ने यह लेटर उस वक्त लिखा, जब उसे जेल में एक ऐसे बैरक में शिफ्ट कर दिया गया, जिसमें मुबय्यना तौर पर पर ज्यादा मुसलमान कैदी रहते थे. सोनी का दावा है कि महकमा जेल हिंदू कैदियों को मुसलमानों के साथ रखकर उन पर ज़ुल्म व सितम ढा रहा है. उसके दरखास्त को अब हाईकोर्ट में रखा जाएगा.

जिगनेश साबरमती सेंट्रल जेल में गुजश्ता छह साल से बंद है. वह 2009 में मर्डर के केस में गिरफ्तार हुआ था. 27 मई को जेल सुपरिटेंडेंट आर एस भगोरा को लिखे खत में उसने कहा है कि वह इस्लाम कबूलना चाहता है.

उसने दावा किया कि वह दस और बंदियों से इस्लाम कबूलने की इजाजत मांगने वाला एप्लिकेशन लगवाने वाला है. जिगनेश के मुताबिक, उसे 22 मई को दूसरे बैरक में शिफ्ट किया गया, जहां ज्यादा तादाद में मुस्लिम कैदी मौजूद थे. उसने दावा किया कि इस बैरक में हिंदू कैदियों को टॉर्चर करने के लिए ही रखा जाता है.

एक अंग्रेजी अखबार ने जेल के ज़राये के हवाले से बताया है कि नए बैरक में शिफ्ट करने के बाद, सोनी को अपने साथियों से मुबय्य्यना तौर पर तौर पर गाली‍ गलौज़ का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, हिंदू मज़हब में उसके यकीन को लेकर भी सवाल किए गए. उसने जब इसकी शिकायत जेल के ओहदेदारों से की तो उन्होंने मुबय्यना तौर पर कहा कि उसे यह सब भुगतना होगा.

ज़राये के हवाले से यह भी दावा किया गया है कि कुछ दूसरे हिंदू कैदियों को भी पहले मुबय्यना तौर पर मुसलमानों के जरिए टॉर्चर झेलना पड़ा है.

जेल इंतेज़ामिया का कहना है कि जिगनेश की मांग ओहदेदारों पर दबाव बनाने की कोशिश भर है. वहीं इंस्पेक्टर जनरल टीएस बिष्ट ने अखबार से बातचीत में बताया, ‘हमने इस मामले में जांच के हुक्म दिए हैं. हम जानना चाहते हैं कि वाकई टॉर्चर हो रहा है या मुजरिम ने सिर्फ अपना एहतिजाज जताया है.

जब कैदी गलत बर्ताव करते हैं तो उन्हें अलग बैरक में शिफ्ट किया जाता है. कभी-कभी अकेला भी रखा जाता है. हालांकि, ऐसा कोई कानून नहीं है कि हिंदू कैदियों को जबरन मुसलमान बंदियों के साथ सजा के तौर पर रखा जाए.