झारखंडः क्यों आसान नहीं भाजपा की राह…

कई महीनों से झारखंड में अकेले इंतिख़ाब लड़ने का दम भर रही भारतीय जनता पार्टी ने जब ऑल झारंखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और लोक जनशक्ति पार्टी से इत्तिहाद किया, तो मायने निकाले गए कि वक़्त की नज़ाकत भांपते हुए पार्टी ने यह क़दम उठाए हैं।

फिर उम्मीदवारों की फेहरिस्त जारी हुई, तो पाला बदलने वाले दर्जन भर से ज़्यादा एमएलए-लीडरों के नाम इसमें शामिल थे। यहां 25 नवंबर से इंतिख़ाब शुरू हो चुके हैं। 81 मेंबरों वाली झारखंड एसेम्बली में पूरे बहुमत के लिए 41 का अड़ाद ज़रूरी है। अलग रियासत की तशकील के बाद साल 2005 और 2009 में हुए इंतिख़ाब में किसी दल को 41 सीटें नहीं मिलीं।

इस बार भाजपा 72 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि आठ सीटें आजसू के लिए और एक सीट लोजपा के लिए छोड़ी गई है। लोकसभा इंतिख़ाब में झारखंड की 14 में से 12 सीटों पर मिली जीत के बाद भी एसेम्बली इंतिख़ाब में भाजपा यहां अलर्ट है।

भाजपा को बड़ी चुनौती है झारखंड मुक्ति मोर्चा को रोकना। झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले 81 सीटों पर इंतिख़ाब लड़ रहा है। झामुमो ने ज़्यादातर पुराने लीडरों या दल छोड़ने वालों को इस इंतिख़ाब में तरजीह दी है। भाजपा के इश्तिहार मुहिम के तौर तरीकों को भी झामुमो ने कॉपी कर लिए हैं।

साल 2009 के एसेम्बली इंतिख़ाब में भाजपा और झामुमो ने 18-18 सीटें जीती थीं। हालांकि भाजपा को 20.18 फीसद और झामुमो को 15.20 फीसद वोट मिले थे।

जातीय तानाबाना

बदली हालातों में झामुमो अपने रिवायती वोट बैंक थ्री एम- महतो (कुर्मी), मुस्लिम और मांझी को मुत्तहिद करने में लगा है। हालांकि भाजपा की उम्मीदें हैं कि मोदी की वजह से गैर आदिवासी वोट उसे एकमुश्त मिल सकते हैं। पॉलिसी मेकर यह भी मान रहे हैं कि मुस्लिम वोटों के बिखराव का उसे फ़ायदा होगा। गुजिशता इंतिखाब में संथाल की 18 सीटों में से दस पर झामुमो को जीत मिली थी, जबकि भाजपा को महज दो सीटें मिली थीं। शिबू सोरेन आदिवासियों के बड़े लीडर माने जाते हैं और हेमंत सोरेन भी तेज़ी से उभरे हैं।

भाजपा के तमाम लीडर इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मुक़ामी हुकूमत बनाएं, तरक़्क़ी पाएं, लेकिन तरक़्क़ी के सवाल पर भाजपा पर भी पलटवार होने लगे हैं। दरअसल 14 सालों में सबसे ज़्यादा नौ साल तक भाजपा ने ही रियासत में हुकूमत की कियादत किया है। उधर, हेमंत सोरेन बतौर वजीर आला अपने 14 महीनों के मुद्दत को कामियाबी के तौर पर गिना रहे हैं. अक्सर वे कहते हैं, “14 महीने 14 साल पर भारी, सबने कहा हमने किया.”