सयासी क़ाइदीन ने 82 निशस्ती झारखंड असेंबली की नशिस्तों में इज़ाफ़ा के लिए अपनी सरगर्मियों में इज़ाफ़ा कर दिया है । इनका मानना है कि ऐसा करने से ना सिर्फ सयासी इस्तेहकाम हासिल होगा बल्कि राज्य सभा इंतेख़ाबात के दौरान हारिस ट्रेडिंग के इल्ज़ामात का सामना भी नहीं करना पड़ेगा ।
हुक्मराँ इत्तेहाद में शामिल पार्टियों में से एक पार्टी के तर्जुमान ने कहा कि झारखंड असेंबली की नशिस्तों में अगर इज़ाफ़ा हो गया तो हारिस ट्रेडिंग का ख़ातमा यक़ीनी है । हुक्मराँ इत्तेहाद में शामिल अज सो पार्टी के तर्जुमान देव शरण भगत ने ये बात कही ।
उन्होंने कहा कि नशिस्तों में इज़ाफ़ा के साथ ही सयासी इस्तेहकाम पैदा होगा । ना सिर्फ ये कि असेंबली बल्कि रियासत भी इस इस्तेहकाम से इस्तेफ़ादा कर सकेगी । असेंबली में कोई ना कोई मुतनाज़ा मुआमला उठाया जाता है जो आगे चल कर बड़े तनाज़ा में तब्दील हो जाता है । यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि रियासत झारखंड की तशकील को ग्यारह साल का तवील अर्सा बीत चुका है लेकिन हैरत अंगेज़ तौर पर यहां अब तक आठ बार हुकूमतें तब्दील हुईं और दो बार सदर राज का नफ़ाज़ भी किया गया ।
उन्होंने कहा कि दीगर रियासतों के क़ाइदीन जब ये देखते हैं कि कोई मुआमला यह तनाज़ा उन के मुताल्लिक़ा ख़ित्ता यह हलक़ा को मुतास्सिर कर सकता है तो फ़ौरी तौर पर मुत्तहिद हो जाते हैं। बिलकुल उसी तर्ज़ पर झारखंड के क़ाइदीन को भी मुत्तहिद होने की ज़रूरत है और इस इत्तेहाद की बुनियाद पर वो अपने मुख़्तलिफ़ मसाइल और तनाज़आत की यकसूई के लिए मर्कज़ी हुकूमत पर दबाव डाल सकते हैं और मर्कज़ को बावर करवा सकते हैं कि रियासत झारखंड की ज़रूरियात क्या हैं।