झारखंड एसेम्बली में लोकसभा से ज्यादा अफसर

झारखंड एसेम्बली में एमएलए की तादाद 82 है। इनके लिए काम करने वाले जाइंट सेक्रेटरी और उसके ऊपर 34 अफसर हैं। यानी एक अफसर पर करीब दो एमएलए के काम का बोझ है। जबकि लोकसभा में 543 एमपी के लिए इन्हीं ओहदे पर 22 अफसर हैं। एक अफसर करीब 24 एमपी का काम कर रहा है। यहां एसेम्बली में हर साल करीब 50 दिन सेशन चलता है उस वक़्त काम ज्यादा होता है लेकिन दिल्ली के मुक़ाबले में यहां अफसरों पर कम काम हैं।
इन सेशन के अलावा बाकी दिन ये मुलाज़िमीन क्या करते हैं, ये कोई नहीं जानता। कुछ लोग मुखतलिफ़ कमेटियों में हैं। वे दावा करते हैं कि हम कमेटी का काम कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर दिनों में वे दफ्तर से गायब रहते हैं। इसे रोकने के लिए स्पीकर दिनेश उरांव ने मेनगेट पर ताला लगवाना शुरू कर दिया है।

कहां कितने अफसर हैं

झारखंड लोकसभा बिहार
सेक्रेटरी 01 सेक्रे. जनरल 01 सेक्रेटरी 01
अपर सेक्रेटरी 12 सेक्रेटरी 01 जाइंट सेक्रेटरी 01
सेक्रेटरी 21 एडिशनल सेक्रेटरी 04 नायब सेक्रेटरी 09
नायब सेक्रेटरी 24 जाइंट सेक्रेटरी 16 अव. सेक्रेटरी 13
अवर सेक्रेटरी २२

इतने सेक्रेटरी के होने की वजह है साबिक़ स्पीकरों की दरियादिली। गुजिशता स्पीकर तकर्रुरी नहीं कर पाए, तो उन्होंने डेढ़ साल में में दो बार ओहदे की कमेटी की बैठक कर जाइंट सेक्रेटरी के 9 और अपर सेक्रेटरी के 6 ओहदे बनाए। फ़ोर्थ ग्रेड से प्रोमोशन पाकर अफसर बन चुके 100 लोग हैं। एसेम्बली तकर्रुरी दस्तूरुल अमल 2003 में कई तर्मीम कर ओहदे की तादाद बढ़ा दी गई। इसके बाद एसेम्बली में कुल 700 मुलाज़िमीन काम करते हैं। जिस पर रियासत का फाइनेंस महकमा अपनी एतराज़ दर्ज करा चुका है।

मुलाज़िमीन की बहाली पुराने स्पीकरों ने की थी। इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। इतने ज्यादा मुलाज़िमीन से काम ले सकें उसकी कोशिश जारी है। मैंने दफ्तर लेट आने वाले और गायब रहने वाले 85 लोगों को गुजिशता दिनों शो-कॉज भी किया था।
दिनेश उरांव, स्पीकर, झारखंड एसेम्बली

झारखंड और बिहार एसेम्बली की तकर्रुरी दस्तूरुल अमल अलग है। इसलिए बिहार से मुक़ाबला नहीं होनी चाहिए। मैने ओहदे की कमेटी की सिफ़ारिश की बुनियाद पर प्रोमोशन दी थी।
शशांक शेखर भोक्ता, साबिक़ स्पीकर झारखंड एसेम्बली