झारखंड की गाय के लिए आई कार्ड और एंबुलेंस सर्विस

रांची : झारखंड की गायों को आई कार्ड मिलने वाला है। आधार कार्ड की तरह इसमें 12 डिजिट का यूनीक आइडेंटिटी नंबर होगा। इसे गायों को कान के पास पहनाया जाएगा। ऐसा मरकज़ी हुकूमत के ज़ीराअत वुजरा की हिदायत पर किया जा रहा है। झारखंड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी फ़ॉर कैटल एंड बफ़ैलो (जेएसआइएबी) को इसका नोडल एजेंसी बनाया गया है। जेएसआइएबी के सीइओ डॉक्टर गोविंद प्रसाद ने बताया कि इस आई कार्ड में गाय की तस्वीर, उम्र, रंग, मालिक वगैरह का तफ़सीलात दर्ज होगा। सरकार मानती है कि ऐसा होने पर गायों की तस्करी पर रोक लगेगी। उनकी ब्रीड और दूध के पैदावार का भी पता चलेगा। इस डेटा को नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के डेटाबेस में डाला जाएगा। इसके लिए बोर्ड ने ही सॉफ्टवेयर बनाया है। जेएसआइएबी के नोडल अफसर डॉ कृष्णकांत तिवारी ने बताया कि आई कार्ड देने का काम दिसंबर से शरू किया जाएगा। पहले मरहले में झारखंड के आठ ज़िलों में यह काम होगा।

रियासती गौशाला यूनियन के सदर आरके अग्रवाल का कहना है कि झारखंड में गायों की हालत बदतर है। आमतौर पर दूध देना बंद कर देने के बाद जानवरों को पालने वाले उसे आवारा छोड़ देते हैं। इससे वो अक्सर हादसा के शिकार हो जाती हैं। झारखंड के करीब 42 लाख दुधारू जानवरों में 70 फ़ीसद गायें हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड रियासती गौशाला यूनियन ने इस वजह से गायों के लिए एंबुलेंस सर्विस शुरू की है। स्वामी रामदेव ने रांची में गुजिशता दिनों इसका इफ़्तिताह किया। आरके अग्रवाल का कहना है कि गायों के लिए यह भारत की पहली एंबुलेंस सर्विस है। इसके लिए टाटा-407 मॉडल के 10 मिनी ट्रकों को रीडिजाइन किया गया है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं में आवारा गायों को कई बार तो इंतेजामिया के लोग ही पहुंचा जाते हैं झारखंड एनिमल वेलफेयर सोसाइटी के एके झा ने बताया कि उनकी अदारा ने गुजिशता कुछ महीने में पांच हज़ार जानवरों का इलाज कराया है। इनमे से कुछ को बीमारी थी लेकिन ज़्यादातर हादसा के शिकार थे। झारखंड के ज़ीराअत वज़ीर रणधीर सिंह ने गुजिशता दिनों रियासत की 27 गौशालाओं को 50-50 लाख की मदद रकम देने की ऐलान की है। यह रकम तीन किस्तों में दी जाएगी।