झारखंड के सारंडा में आर्मी ट्रेनिंग

रांची 21 अप्रैल : मुल्क के के नक्सल मुतासिर इलाकों में आर्मी ट्रेनिंग सेंटर खोलने की मरकज़ी मंसूबा के तहत सारंडा को भी चुना गया है।

मरकज़ी हुकूमत ने इसके लिए चीफ सेक्रेटरी को ख़त भेजा है। गुज़िस्ता साल ही मरकज़ ने इसके लिए सारंडा का सिलेक्शन किया था। मरकज़ के तजवीज़ के मुताबिक, रियासत का यह जंगली इलाका अब तक नक्सलियों के लिए ‘हाइड आउट प्लेस’ रहा है। ऐसे में यहां आर्मी सेंटर खोलकर माओवादियों को कमजोर करने और उनके सफाए की हिकमत अम्ली बनाई गई है। इसी ओर रियासती हुकूमत से जरुरी कार्रवाई करने को कहा गया है।

मरकज़ ने मांगी जानकारी : मरकज़ ने रियासती हुकूमत को कहा है कि वह आर्मी ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए मुनासिब जगह को मुन्तखिब करते हुए इसकी जानकारी दे। मरकज़ ने इस सिम्त में जल्द से जल्द ठोस जानकारी तलब की है, ताकि मरकज़ खोलने को लेकर जरूरी कार्यवाही शुरू की जा सके। वज़ारत दफ़ा ने मरकज़ी वज़ारत दाखला के साथ मिलकर तीन साल पहले हिफ़ाज़ती वाज़ुहत से मुल्क के नक्सल मुतासिर इलाकों में आर्मी ट्रेनिंग सेंटर खोलने की मंसूबा बनाई थी। मंसूबाबंदी में मशरिकी और शुमाल मशरिकी रियासतों पर फोकस है। इसमें खासकर झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़, ओडि़शा एवं बिहार के नक्सल मुतासिर जिलों को भी जेहन में रखा गया है।

ट्रेनिंग सेंटर बनने से यह होगा फायदा : नक्सल मुतासिर इलाकों में ट्रेनिंग सेंटर खोले जाने से उस इलाके में फौजियों की सरगर्मी बढ़ेंगी। फौजियों की सरगर्मियों का सीधा असर नक्सलियों की सरगर्मी पर पड़ेगा। नक्सलियों का हौसला टूटेगा और इलाके में उसका असर कम होने लगेगा। इससे तरक्की की रफ़्तार भी बढ़ेगी।