रांची : रियासत के अंगीभूत कॉलेजों से इंटर साइंस की परीक्षा में शामिल 70 फीसदी से अधिक विद्यार्थी फेल हो गये. कुछ कॉलेजों में तो 80 से 95 फीसदी तक विद्यार्थी फेल हुए हैं. अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई की जिम्मेदारी न तो विश्वविद्यालय प्रशासन लेता है और न ही सरकार. ऐसे में इन कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई भगवान भरोसे है. इंटर साइंस का रिजल्ट लगातार खराब हो रहा है, पर कॉलेजों के शिक्षकों पर कार्रवाई तो दूर, आज तक इसकी समीक्षा भी नहीं हुई. इस वर्ष भी स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इन कॉलेजों के रिजल्ट की समीक्षा का अब तक निर्देश नहीं दिया है.
रांची में छह कॉलेज के 80 फीसदी विद्यार्थी फेल : रांची जिले में 10 अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई होती है़ इनमें छह कॉलेजों के 80 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गये. जेएन कॉलेज धुर्वा के मात्र 3.3 फीसदी विद्यार्थी ही उत्तीर्ण हुए. कॉलेज से साइंस की परीक्षा में 60 विद्यार्थी शामिल हुए थे. इनमें मात्र दो ही उत्तीर्ण हो पाये.दो परीक्षार्थी सभी विषय की परीक्षा में शामिल नहीं हुए.एसएस मेमोरियल कॉलेज के 161 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. इनमें 140 फेल हो गये. कॉलेज के 16 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए. वहीं पांच सभी विषय की परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए.
पढ़ाई नहीं हुई अलग : यूजीसी ने 2011 में अंगीभूत डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद करने आदेश दिया था़ इसके बाद भी आज तक अधिकतर कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई अलग नहीं हुई. विवि इंटर की पढ़ाई की जिम्मेदारी नहीं लेता. रांची विवि के कुछ कॉलेजों में अलग पढ़ाई की व्यवस्था की गयी है़.
नहीं मिलते विद्यार्थी, फिर भी पढ़ाई : राज्य के 90 फीसदी अंगीभूत कॉलेजों में इंटर साइंस में 75 फीसदी से अधिक सीटें प्रति वर्ष रिक्त रह जाती हैं. इसके बाद भी कभी इन कॉलेजों में साइंस की पढ़ाई की समीक्षा नहीं की गयी़ सभी कॉलेजों में पढ़ाई जारी है. राजधानी के अंगीभूत कॉलेजों में इंटर साइंस में 500 सीट है. कॉलेज से परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है. जेएन कॉलेज धुर्वा से 60, सिमडेगा कॉलेज से 60, बाघमारा कॉलेज से 41, मांडर कॉलेज से 45 तथा बेड़ो कॉलेज से 74, बीए विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. इन सभी कॉलेज को मिला कर एक कॉलेज की कुल सीट के बराबर विद्यार्थी भी परीक्षा में शामिल नहीं हुए.
कॉलेज में कक्षा का संचालन विवि के एकेडमिक कैलेंडर के अनुरूप होता है़ विवि के कैलेंडर के अनुसार वर्ष में 180 दिन कक्षा संचालन होना अनिवार्य है, जबकि राज्य में लागू इंटर का पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए वर्ष में कम-से-कम 220 दिन की पढ़ाई अनिवार्य है. जैक द्वारा कराये गये एक सर्वे में इसका खुलासा हुआ था कि अंगीभूत काॅलेजों में वर्ष में 100 दिन भी इंटर की कक्षा नहीं चलायी जाती है.