रांची : रियासती हुकूमत के अफसरों और मुलाज़िमीएन की ट्रांसफर-पोस्टिंग अब साल में एक ही बार करने पर मंजूरी हो गई है। कैबिनेट की गुजिश्ता बैठक में इस मुद्दे पर बहस के बाद वज़ीरे आला ने काबिना को इस सिलसिले में परपोजल तैयार करने को कहा है। इसके बाद इस पर काम शुरू हो गया है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग किस महीने में हो, इस पर गौर चल रहा है। फिलहाल अप्रैल या जून में से किसी महीने इसे लागू करने पर गौर हो रहा है। इस पर फैसला होने के बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा। सरकार इस फैसले को अगले फाइनेंस साल से लागू करने की तैयारी में है।
रियासत में ट्रांसफर-पोस्टिंग ने कारोबार का शक्ल ले लिया है। दिसंबर और जून के आखरी दिनों में रातों-रात सैकड़ों अफसर और मुलाज़िमीएन बदल दिए जाते हैं। इसके अलावा भी वक़्त ब वक़्त तबादले होते रहते हैं। इल्ज़ाम लगता रहा है कि क्रीम पोस्टिंग के लिए अफसर पैरवी करते हैं और पैसे का भी खेल होता है। इससे सरकार की शोबीया भी खराब होती है। रघुवर सरकार इस निजाम को बदलना चाहती है, ताकि सरकार के फी अफसरों और आम लोगों का यकीन जगे।
सरकार का मानना है कि बार-बार तबादला होने से अफसरों और मुलाज़िमीएन के काम पर उल्टा असर पड़ता है। जब तक अफसर अपने काम के इलाके को समझते हैं और तरक्की के कामों को रफ़्तार देने की कोशिश करते हैं, तब तक उनका तबादला ऑर्डर निकल जाता है। इससे अफसरों की जिम्मेदारी भी तय नहीं हो पाती।
नई निज़ाम लागू होने पर फाइनेंस साल के शुरू में ही अफसरों -मुलाज़िमीन को पूरे साल बजट रकम के मुताबिक काम करने का मौका मिलेगा। इससे तरक्की को रफ़्तार मिलेगी। साल भर के बाद काम की जायजा होगी। बेहतर काम करने वालों को और मौके मिलेंगे जबकि काम नहीं करने वालों को दूसरी जगह भेजा जाएगा। और बेहतर काम न करने वाले का शुरू में ही तबादला कर दिया जाएगा।
मौजूदा सिस्टम में मई-जून और नवंबर-दिसंबर में तबादले की तजवीज है। दस्तुरुल अमल में कहा गया है कि साल में दो बार तबादला किया जा सकता है। तीन साल पूरा करने वालों की लिस्ट तैयार कर उसके मुताबिक ही तबादले पर फैसले लिए जाएं। इन चार महीने को छोड़कर तबादले के लिए सिर्फ एक ही शर्त है कि एक सतह ऊपर वाले दफ्तर से मंजूरी ली जाए। नई निज़ाम लागू करने के लिए दस्तुरुल अमल में तर्मीम करना होगा, जो कैबिनेट सतह पर हो सकता है।