झारखंड में एक बार फिर सूखे की इमकान

रांची : झारखंड में एक बार फिर सूखा तय है़। अगस्त और सितंबर माह में बारिश ही नहीं हुई़ खेतों में लगी धान की फसल सूख रही है। अगस्त में तो आम से थोड़ी कम बारिश हुई़ पर सितंबर में काफी कम बारिश रिकॉर्ड की गयी़। इसका सीधा असर खेतों पर पड़ा है़। खेतों में दरारें आ गयी हैं। फसल पूरी तरह से चौपट हो गयी है़। बारिश नहीं होने का ही असर है कि कई जिलों में तालाब अभी ही सूख गये हैं। कुओं का पानी की सतह नीचे चला गया है। ज़ीराअत महकमा ने भी नुक्सान का तजवीज शुरू कर दिया है। इब्तेदाई तजवीज में करीब 25 से 30 फीसद फसल को नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है।

सितंबर माह में रियासत में आम बारिश 235 मिमी होनी चाहिए थी। पर 30 सितंबर तक महज़ 79 मिमी ही बारिश हुई। बीएयू से हासिल अदाद के मुताबिक रांची और आसपास में मॉनसून में अब तक इतनी कम बारिश नहीं हुई थी। रांची और आसपास में जून से सितंबर तक औसतन 622 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गयी। सबसे कम बारिश गढ़वा जिले में रिकॉर्ड की गयी है़। यहां 34 मिमी बारिश ही रिकॉर्ड की गयी है़। बोकारो जिले में सितंबर में महज़ 36 मिमी बारिश हुई़ । पलामू और बोकारो में 41 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गयी है़। रियासत में फसलों की सबसे खराब हालत पलामू में है़। पलामू, गढ़वा और लातेहार में धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है़। कोडरमा और बोकारो में भी फसलें सूख गयी हैं।

2001 से अब तक रांची में महज़ दो बार औसत से ज़्यादा बारिश हुई है़। मौसम साइंस और जिराअत महकमा के मुताबिक, रियासत की औसत बारिश 1400 मिमी के आसपास है। रियासत में सबसे ज़्यादा बारिश रांची (1100 मिमी) में होती है। गुजिशता 15 साल में महज़ दो बार 1400 मिमी से ज़्यादा बारिश हुई है। 2006 में 1600 से ज़्यादा और 2011 में 2100 मिमी से ज़्यादा बारिश हुई थी। गुजिशता चार साल से जून से सितंबर माह तक औसत बारिश एक हजार मिमी से नीचे हो रही हैं। 1969 में रांची में 698 मिमी बारिश हुई थी। इस बार महज़ 622 मिमी बारिश जून से सितंबर माह तक हुई है।