समाज बहबूद, ख़वातीन और बच्चे की तरक़्क़ी वज़ीर अन्नपूर्णा देवी ने मंगल को नयी दिल्ली से रेस्क्यू कर लायी गयी आठ बच्चियों को हुकूमत की तरफ से हर मुमकिन मदद देने का यकीन दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड में बच्चियों की ट्रैफिकिंग की मसला काफी संगीन हो गयी है। प्रोजेक्ट भवन में नयी दिल्ली से लायी गयी इन बच्चियों को बच्चे की तहफ़्फुज़ कमीशन के रुक्न संजय मिश्र और उनकी टीम ने पेश किया।
इन बच्चियों में नयी दिल्ली के बसंत कुंज से रेस्क्यू की गयी बच्ची फुलीन भी थी। इसे चार महीने तक मालकिन वंदना धीर ने न सिर्फ ज़ेहनी, बल्कि जिंसी इस्तहसाल भी दी। उसके जिश्म पर जख्म के अभी तक कई निशान हैं। फुलीन साहेबगंज की रहनेवाली है। उसके सिर, कान और होंठ की सजर्री झारखंड हुकूमत की मदद से नयी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हुई है।
एक अक्तूबर 2013 को रेस्क्यू के बाद बच्चे की तहफ़्फुज़ कमीशन, झारखंड भवन के मुक़ामी कमिशनर और दीगर की पहल पर फुलीन को भरती कराया गया था। रेस्क्यू कर लायी गयी सिमडेगा की सुनीता, मगरीबी सिंहभूम की बलमा हांसदा, लोहरदगा की अनीता नागेशिया, सिमडेगा की मनीषा तिर्की और देवी कुमारी और मगरीबी सिंहभूम की मंगरी कुमारी का ज़ाती महकमा वज़ीर ने इस्तकबाल किया।
मौके पर समाज बहबूद सेक्रेटरी ने कहा कि क़बायली ज़ात कमीशन की हिदायत पर फुलीन को जरूरी मुआवजा दिलाने की कोशिश भी किया जायेगा। फुलीन के मामले में नयी दिल्ली में सनाह दर्ज की गयी है। साहेबगंज के डीसी और एसपी को जरूरी हिदायत भी दिये गये हैं।