आजसू सरबराह शरीक साबिक़ नायब वज़ीरे आला का कहना है कि रियासत में कियादत की फुकदान है, इसीलिए झारखंड बनने के बाद यहां वज़ीरे आला ऐसे बदल रहे हैं जैसे जिले का डीसी। मंगल को जगन्नाथपुर, आजसू समेत दीगर ब्लॉकों की हक़ सफर पर निकलने से पहले सर्किट हाउस में मीडिया से मुखातिब होते हुए सुदेश महतो ने कहा कि रियासत में कियादत की सलाहियत नहीं होने की वजह ही मरकज़ हुकूमत पर दबाव नहीं बन पा रहा है।
मौजूदा में जो हुकूमत चल रही है, वह मुआहदे की हुकूमत है। इससे न तो रियासत को फायदा है और न ही आवाम को उम्मीद। महतो ने कहा कि आने वाले वक़्त में पार्टी अपने मुद्दे पर कायम रहेगी। आजसू पार्टी रियासत में एसेम्बली और व लोकसभा के इंतिख़ाब में अपने दम पर आगे बढ़ेगी। आने वाले वक़्त में इत्तिहाद की बात पर आजसू सरबराह ने कहा कि पार्टी की पहली तरजीह आवाम के मुफाद वाले मुद्दे हैं। इसे जो भी पूरा करेगा, उसके साथ आगे बढ़ने पर गौर किया जाएगा।
रियासत के तरक़्क़ी के मौजू को लोकसभा में एमपी रखते है, पर यहां के एमपी में इतनी भी हिम्मत नहीं कि रियासत के मुद्दे को दिल्ली के प्लेटफोरम पर रख सकें। मर्कज़ी हुकूमत की हमेशा से मंशा रही है कि रियासत का कोई सियासी चेहरा क़ौमी सतह पर उभर कर नहीं आए। इस बार आजसू पार्टी अपने हक़ के लिए निकली है तो दिल्ली तक इसकी गूंज सुनाई देगी।