रांची : झारखंड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इस साल अगस्त तक 739 बच्चों की मौत को गंभीरता से लिया है. रिम्स अधीक्षक डॉ एसके चौधरी को तत्काल पद से हटा गया है. डॉ विवेक कश्यप को रिम्स के अधीक्षक का प्रभार दिया गया है. इस बीच रिम्स के निदेशक बीएल शेरवाल ने भी पद छोड़ने की पेशकश की है. स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है. विभाग के अपर सचिव सह रिम्स के उपनिदेशक पीके झा बुधवार को रिम्स पहुंचे. बच्चों की मौत के कारणों का वह अध्ययन किये इसके लिए अधीक्षक से डेटा मांग गया. उपनिदेशक ने विभाग से डॉ एसके चौधरी के पदस्थापन के लिए मार्गदर्शन भी मांगा है. पूछा है कि डॉ एसके चौधरी रिम्स कैडर के नहीं हैं, उन्हें कहां पदस्थापित किया जा सकता है, विभाग इससे संबंधित मार्गदर्शन करे.
डॉ एसके चौधरी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने ऑडिट टीम का सहयोग नहीं किया. बताया जाता है कि कैश काउंटर सहित रिम्स की अॉडिट करने स्पेशल टीम आयी थी. अधीक्षक ने 15 दिनों तक टीम के सदस्यों को जांच में सहयोग नहीं किया. इस कारण टीम ने अॉडिट करने से इनकार कर दिया और लौट गयी.
शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके चौधरी ने बताया, रिम्स में मौत का मुख्य वजह एस्फेक्सिया (ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी होना) है. वहीं समय से पूर्व जन्म लेनेवाले 22 फीसदी, सांस संबंधी बीमारी के नौ फीसदी, सेप्सिस के सात फीसदी, कम वजन के 5.6 फीसदी और अन्य बीमारियों के चार फीसदी बच्चों की मौत होती है. 48 फीसदी बच्चों की मौत भरती होने के 24 घंटे के अंदर हुई है. ये बहुत गंभीर थे. ऐसे बच्चे अंतिम क्षण में बिना किसी उचित इलाज के रिम्स रेफर होकर आते हैं.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान रिम्स निदेशक डॉ बीएल शेरवाल ने कहा कि इस साल अगस्त तक कुल 4855 बच्चे भरती हुए, जिसमें 4195 स्वस्थ होकर घर गये. 660 बच्चों को बचाया नहीं जा सका. अगस्त माह में कुल 103 बच्चों की ही मौत हुई. कुल 4855 बच्चों में 1531 को एनआइसीयू में भरती कराया गया था. इनमें 263 बच्चों की मौत हो गयी. 263 बच्चे रिम्स में बाहर के अस्पताल से रेफर होकर आये थे.