झारखंड हुकूमत ने अजाफ़ी बेहतर गिज़ा के मंसूबाबंदी में से 169.68 करोड़ रुपये की रकम सरेंडर कर दी है। साल 2005-06 से 2011-12 माली साल में गिज़ा प्रोग्राम के तहत हर साल रकम सरेंडर की गयी। मर्कजी स्पोंसर इस प्रोग्राम में मर्कज से रियासतों को 50 फीसद ग्रांट मिलता है। इसमें रियासत हुकूमतों को 50 फीसद का हिस्सा देना पड़ता है।
2011-12 तक इस मंसूबा में कुल 779.28 करोड़ रुपये का बंदोबस्त किया गया। इसमें 389.64 करोड़ रुपये मर्कज से मिले। समाज बहबूद डायरेक्टोरेट के मुताबिक मर्कजी ग्रांट में से 50 फीसद रकम ही हुकूमत खर्च कर पायी। 2011-12 तक रियासत हुकूमत ने 720.24 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया है। मर्कज से क़बायली नायब मंसूबा बंदी, दीगर नायब मंसूबा बंदी और खुसुसि मर्कजी मदद के तौर में गिज़ा प्रोग्राम का ग्रांट मिलता है।
समाज बहबूद, खातून और बच्चे की तरक़्क़ी महकमा की तरफ से 38 हजार से ज़्यादा आंगनबाड़ी सेंटरों के जरिये गज़ा प्रोग्राम रियासत भर में ओप्रेटीव हैं। इसके जरिये पांच साल तक के बच्चों, हमला ख़वातीन को तय गज़ा दिये जाते हैं। हर आंगनबाड़ी सेंटर में जानेवाले बच्चों और माँओं की तादाद के मुताबिक ही जिलावार रकम तक़सीम की जाती है।
हर आंगनबाड़ी सेंटर में छह माह से छह साल तक के आम बच्चों को रोजाना चार रुपये, हल्के वज़न वाले बच्चों को छह और हम्ल औरतों और धात्री ख़वातीन को पांच रुपये का अजाफ़ी गिज़ा देना जरूरी है।