रांची : झाविमो और झामुमो ने बुध को एसेम्बली में इलज़ाम लगाया कि अडाणी ग्रुप को संथालपरगना में सस्ते दर पर जमीन दिलाने में अरबों रुपए का लेन-देन हुआ। झाविमो के प्रदीप यादव ने जहां 3000 करोड़ के लेन-देन का इल्ज़ाम लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की। वहीं ओपोजिशन के लीडर हेमंत सोरेन ने कहा कि इसमें एक हजार करोड़ का घोटाला है। ज़मीन की आमदनी, टूरिस्म और आर्ट एंड कल्चर महकमा की ग्रांट की मांग पर चर्चा के दौरान यादव ने कहा गोड्डा के मौजूदा डीसी ने जो दर तय की थी, उसे किसकी मांग या एतराज़ पर दस्तुरुल अमल में तर्मीम के ज़रिये से कम किया गया। अगर डीसी ने गलत निर्धारण किया था तो फिर उसके खिलाफ सरकार ने क्यों नहीं कार्रवाई की।
उन्होंने बताया कि एनएचआई ने भी 2014-15 में जमीन अधिग्रहण के लिए 55 लाख फी एकड़ का दर तय किया था। अब उसकी कीमत भी 75 लाख फी एकड़ हो गई होगी। जब मर्क़ज़ी हुकूमत 75 लाख फी एकड़ मुआवजा देने को तैयार है तो फिर झारखंड सरकार रैयतों को ज्यादा रक़म मिलने से परेशान क्यों हो गई।
उन्होंने कहा कि संताल में अडाणी ग्रुप को दो से ढाई हजार एकड़ जमीन चाहिए। जमीन की कीमत कम करने में 3000 करोड़ के लेन-देन हुए। उन्होंने जिंदल ग्रुप की तरफ से संथाल में ली गई जमीन के मुआवजे में भी धोखा दिए जाने का इलज़ाम लगाया।
हेमंत सोरेन ने कहा कि गोड्डा में अडानी ग्रुप को सस्ती जमीन दस्तयाब कराने में एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि संताल में जब जमीन की खरीद बिक्री ही बैन है। जिन रैयतों की जमीन चली जाएगी, भले ही उन्हें पैसे भी मिल जाएंगे। तो वो फिर जमीन कहां खरीदेंगे। गरीबों को जमीन से बेदखल करने की सोची समझी साजिश चल रही है।