विवादित लेख पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘टाइम मैग्जीन विदेशी है। कहा जा रहा है कि उसका लेखक पाकिस्तानी राजनीतिक परिवार से आता है। यह उसकी विश्वसनीयता के लिए पर्याप्त है।’ इस पत्रिका में यह भी पूछा गया था कि क्या भारत उन्हें और पांच सालों के लिए सत्ता सौंप सकता है। प्रधानमंत्री पर यह विवादित कवर स्टोरी आतिश तासीर नाम के पत्रकार ने की थी।
जिन्होंने अपने लेख में लिखा था, ‘दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र पहले से कहीं अधिक विभाजित हो गया है।’ उन्होंने इसके लिए भीड़ हत्या, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ की नियुक्ति और मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने जैसे उदाहरण दिए थे। इस लेख में विपक्ष की भी आलोचना की गई थी।
कवर स्टोरी में कहा गया है कि मोदी ने भारत के महान शख्सियतों पर राजनीतिक हमले किए जैसे कि नेहरू। वह कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, उन्होंने कभी भी हिंदू-मुसलमानों के बीच भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। नरेंद्र मोदी का सत्ता में आना इस बात को दिखाता है कि भारत में जिस कथित उदार संस्कृति की चर्चा की जाती थी वहां पर दरअसल धार्मिक राष्ट्रवाद, मुसलमानों के खिलाफ भावनाएं और जातिगत कट्टरता पनप रही थी।
लेख में आगे लिखा है कि नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लोगों के गुस्से के देखते हुए आर्थिक वादे किए। उन्होंने नौकरी और विकास की बात की। लेकिन अब ये विश्वास करना मुश्किल लगता है कि वह उम्मीदों का चुनाव था। लेख में कहा गया है कि मोदी द्वारा आर्थिक चमत्कार लाने के वादे फेल हो गए। यही नहीं उन्होंने देश में जहर भरा धार्मिक राष्ट्रवाद का माहौल तैयार करने में जरूर मदद की।
इससे पहले टाइम पत्रिका ने साल 2012 फिर साल 2015 में मोदी को अपने कवर पेज पर जगह दी थी। वहीं साल 2014, 2015 और 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था। मई 2015 में पत्रिका ने मोदी पर कवर स्टोरी की थी और उसे नाम दिया था- ‘व्हाय मोदी मैटर्स’ (‘Why Modi Matters’)।