हैदराबाद 25 मई: किसी भी हुकूमत को जश्न मनाने के लिए अपने वादों की तकमील का हिसाब अवाम के रूबरू पेश करना चाहीए। अगर वादे पूरे नहीं किए गए तो फिर हुकूमत को दो साल की तकमील का जश्न मनाने का कोई इख़तियार नहीं।
ये तास्सुरात तेलंगाना के मुसलमानों के हैं जिनसे टीआरएस के सरबराह के चन्द्रशेखर राव ने चुनाव से पहले12 फ़ीसद रिजर्वेशन की फ़राहमी का वादा किया था। केसीआर ने चुनाव मुहिम के दौरान बारहा इस बात को दुहराया था कि हुकूमत की तशकील के अंदरून 4 माह टामिलनाडु की तर्ज़ पर 12 फ़ीसद रिजर्वेशन पर अमल करके दिखाएँगे। केसीआर ने जिस पुराज़म अंदाज़ में वादा किया मुसलमानों ने इस पर भरोसा कर लिया और टीआरएस की ताईद की लेकिन हुकूमत के 2 साल मुकम्मिल हो गए हैं लेकिन वादा-वफ़ा नहीं हो सका।
रिजर्वेशन की फ़राहमी के सिलसिले में केसीआर हुकूमत की संजीदगी पर कई सवाल खड़े होते हैं क्युं कि चीफ़ मिनिस्टर बनने के बाद जब उनसे 4 माह में रिजर्वेशन की फ़राहमी के वादे पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ़ लफ़्ज़ों में इनकार कर दिया कि उन्होंने कभी भी चार माह में रिजर्वेशन की फ़राहमी का वादा नहीं किया था जबकि उनकी तक़रीर की वीडीयो रिकार्डिंग अवाम में गशत हुई है।
अगर 4 माह में रिजर्वेशन मुम्किन नहीं थे तो फिर टामिलनाडु की तर्ज़ का दावा क्ययुं किया गया ?। रिजर्वेशन की फ़राहमी के मसले को टालने के लिए रिटायर्ड आईएएस ओहदेदार जी सुधीर की क़ियादत में कमीशन आफ़ इन्क्वारी क़ायम कर दिया गया और उसे मुसलमानों की समाजी, तालीमी और मआशी पसमांदगी के बारे में रिपोर्ट पेश करने की ज़िम्मेदारी दी गई।
अगर हुकूमत रिजर्वेशन की फ़राहमी में संजीदा होती तो माहिरीन का ख़्याल है कि उसे कमीशन आफ़ इन्क्वारी के बजाये रास्त तौर पर बीसी कमीशन क़ायम करना चाहीए था। बरख़िलाफ़ उस के सुधीर कमीशन का क़ियाम और दो मर्तबा उस की मीयाद में तौसी इस बात का वाज़िह इशारा है कि हुकूमत किसी ना किसी तरह इस मसले को टालने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ़ इन्क्वारी कमीशन को शिकायत है कि इस के काम की तकमील में ब्यूरोक्रेसी अहम रुकावट है। कमीशन ने अपने क़ियाम के बाद तमाम अज़ला के दौरे मुकम्मिल करलिए और तमाम मह्कमाजात से मुसलमानों की मुलाज़िमतों और दुसरे शोबों के बारे में रिपोर्ट तलब की है। बताया जाता है कि अभी तक 25 फ़ीसद मह्कमाजात ने भी रिपोर्ट पेश नहीं की।