टीएमसी विधायक मर्डर: बीजेपी नेता मुकुल रॉय की गिरफ्तारी पर लगी रोक!

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को निर्देश दिया कि वह तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या के सिलसिले में भाजपा नेता मुकुल राय को सात मार्च तक गिरफ्तार न करे। हालांकि, अदालत ने “अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए” भाजपा नेता को ‘‘मौजूदा स्थिति में’’ अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति एम मंडल की खंडपीठ ने राय को गिरफ्तारी से सात मार्च तक राहत देते हुए कहा कि वह मामले पर पांच मार्च को फिर सुनवाई करेगी। खंडपीठ ने अपने अगले आदेश तक राय को नादिया जिले में प्रवेश करने से भी रोक दिया। अपवाद के तौर पर वह जांच या अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए वहां जा सकते हैं।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, राय ने प्राथमिकी में नाम आने के बाद मंगलवार को अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। तृणमूल कांग्रेस विधायक की हत्या के मामले से संबंधित प्राथमिकी में राय के अलावा तीन और लोगों को नामजद किया गया है।

बता दें कि नादिया जिले में नौ फरवरी को एक सरस्वती पूजा पंडाल में अज्ञात हमलावरों ने TMC विधायक बिस्वास की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अगले ही दिन दो आरोपियों– कार्तिक मंडल और सुजीत मंडल को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद राय पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी से मतभेद होने पर नवंबर, 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे। खंडपीठ ने कहा कि राय की आजादी पर ग्रहण नहीं लगना चाहिए क्योंकि वह विपक्षी दल के नेता हैं। लेकिन, उनकी जांच में विश्वसनीयता सुनिश्चिता करने और उनके राजनीतिक प्रभाव को ध्यान में रखकर उनकी आवाजाही जरूर सीमित की जाए।

राय ने प्राथमिकी में नाम आने के बाद मंगलवार को अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। तृणमूल कांग्रेस विधायक की हत्या के मामले से संबंधित प्राथमिकी में राय के अलावा तीन और लोगों को नामजद किया गया है।

बता दें कि नादिया जिले में नौ फरवरी को एक सरस्वती पूजा पंडाल में अज्ञात हमलावरों ने TMC विधायक बिस्वास की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अगले ही दिन दो आरोपियों– कार्तिक मंडल और सुजीत मंडल को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद राय पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी से मतभेद होने पर नवंबर, 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे। खंडपीठ ने कहा कि राय की आजादी पर ग्रहण नहीं लगना चाहिए क्योंकि वह विपक्षी दल के नेता हैं। लेकिन, उनकी जांच में विश्वसनीयता सुनिश्चिता करने और उनके राजनीतिक प्रभाव को ध्यान में रखकर उनकी आवाजाही जरूर सीमित की जाए।