टीचर्स के तक़र्रुरात कठाई में !

रियासती हुकूमत का तक़रीबन तीस हज़ार टीचर्स के तक़र्रुरात का मंसूबा ऐसा महसूस हो रहा है कि क़ानूनी कशाकश से दो-चार हो रहा है क्यों कि सुप्रीम कोर्ट डी एड उम्मीदवारों की दरख़ास्त और हुकूमत के हलफनामा को समाअत के लिये क़बूल करलिया और उम्मीदवारों को हिदायत दी है कि वो दो हफ़्ते के अंदर अपना जवाब दाख़िल करें ।

डी एड उम्मीदवारों ने इद्दिआ किया है कि 2006 और 2008 में हुए डी एस सी इम्तेहानात में उन के साथ ना इंसाफ़ी की गई है और अदालत से इस्तिदा की गई है कि वो हुकूमत को हिदायत दे कि इस की तलाफ़ी करे । उम्मीदवारों ने कहा कि नए डी एस सी से पहले इंसाफ़ किया जाना चाहीए । हुकूमत ने कहा कि इस ने सुप्रीम कोर्ट की कब्लअज़ीं दी गई हिदायात पर अमल किया है दो रुकनी बंच ने उम्मीदवारों से कहा कि वो 15 मार्च तक अपना अपना जवाब दाख़िल करें ।

तनाज़ा इस बात पर है कि पहले ये क़ायदा था कि सिर्फ डी एड डिग्री रखने वाले ही सेकनडरी ग्रेड टीचर (SGT) जायदादों पर तक़र्रुर के अहल थे । हुकूमत ने तलबा और टीचर्स तनज़ीमों की नुमाइंदगी पर इस क़ायदा पर नज़र-ए-सानी की और कहा कि 30 फीसद जायदादें रास्त डी एड उम्मीदवारों के लिए होंगी और बाक़ी 70 फीसद जायदादों पर डी एड और बी एड उम्मीदवारों के तक़र्रुरात होंगे ।

2006 और 2008 के डी एस सी इम्तेहानात डी एड यूनियनों की शदीद मुख़ालिफ़त के बावजूद नज़र-ए-सानी शूदा क़ायदा के मुताबिक़ मुनाक़िद किए गए थे ।