टीम अन्ना में इंतिशार की कैफ़ीयत

अन्ना हज़ारे ने गुज़शता महीनों में जब करप्शन के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू की थी तो सारे मुल्क में एक हंगामा बरपा होगया था । हिंदूस्तान का शायद ही कोई शहर और कोई क़स्बा या गावं भी ऐसा नहीं होगा जहां उन की ताईद में अवाम उठ ना खड़े हुए हूँ। मर्द-ओ-ख़वातीन जवान-ओ-बूढ़े सभी अन्ना हज़ारे की ताईद में उठ खड़े हुए थे और हुकूमत को भी अवाम के इस ज़बरदस्त रद्द-ए-अमल ने परेशान करदिया था ।

अन्ना हज़ारे की मुहिम के नतीजा में ही लोक पाल बल की तैय्यारी का अमल शुरू हुआ था । जब करप्शन के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू हुई तो किसी ने भी इस के पसेपर्दा मक़ासिद या अन्ना हज़ारे के साथीयों के ताल्लुक़ से खोज करनी ज़रूरी नहीं समझा । मलिक के अवाम को तो सिर्फ करप्शन से अपनी बेज़ारगी का इज़हार करना था ।

इबतिदाई मक़बूलियत के बाद अन्ना हज़ारे और उन के साथीयों के मिज़ाज में तबदीली आने लगी और वो अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कोई बात या मश्वरा तक क़बूल करने को तैय्यार नहीं थे । ताहम जहां कोई मक़बूलियत हासिल करता है वहीं उस की ख़ामीयों और ऐबों का पता चलना भी शुरू होजाता है और यही कुछ सूरत-ए-हाल आज अन्ना हज़ारे और उन के साथीयों को दरपेश है । ख़ुद अन्ना हज़ारे के साथीयों में इख़तिलाफ़ात भी ढकी छिपी बात नहीं हैं हालाँकि इस का एतराफ़ नहीं किया जा रहा है ।
अन्ना हज़ारे और उन के बाअज़ साथीयों की हिट धर्मी की वजह से उन के बाअज़ अरकान उन से दूसरी इख़तियार करचुके हैं । अन्ना के बाअज़ साथीयों पर कुरपट मुआमलतों का इल्ज़ाम भी आइद किया गया है । साबिक़ा आई पी ऐस ओहदेदार किरण बेदी पर इल्ज़ाम है कि उन्हों ने मुल्क भर में मदऊ करने वाले मुंतज़मीन से फ़र्ज़ी बलज़ के ज़रीया इज़ाफ़ी रक़ूमात हासिल की हैं। किरण बेदी ने इस का एतराफ़ किया और कहा कि इस से उन्हें कोई शख़्सी फ़ायदा हासिल नहीं हुआ है ।

इसी तरह अरविंद केजरीवाल पर इल्ज़ाम है कि उन्हों ने अन्ना हज़ारे की भूक हड़ताल केलिए और करप्शन मुख़ालिफ़ मुहिम केलिए जमा करदा चंदों को अपनी जानिब से चलाए जाने वाले ट्रस्ट में जमा करलिया है । अरविंद केजरीवाल को महिकमा इनकम टैक्स ने भी बकाया जात अदा करने की नोटिस दी है और उन पर क़वानीन की ख़िलाफ़वरज़ी का इल्ज़ाम आइद किया गया है ।
ऐसा लगता है कि अपने साथीयों से मुताल्लिक़ तमाम तनाज़आत पर अन्ना हज़ारे भी दिलबर्दाशता होने लगे हैं शायद यही वजह है कि उन्हों ने अपने मौन व्रत को जारी रखने का फ़ैसला किया है और वो किसी से भी बातचीत से गुरेज़ कर रहे हैं। इन की ख़ामोशी का मतलब ये है कि वो कल दिल्ली में होने वाले अपने साथीयों के इजलास में शिरकत नहीं करेंगे ।
इस इजलास से क़बल टीम उन के दो अरकान मुस्ताफ़ी होचुके हैं और उन का इल्ज़ाम है कि अन्ना हज़ारे की तहरीक अपने मक़सद से इन्हिराफ़ कर चुकी है । एक रुकन का इल्ज़ाम है कि अन्ना हज़ारे और उन के साथीयों ने हरियाणा में हिसार लोक सभा हलक़ा के ज़िमनी इंतिख़ाब में महज़ कांग्रेस की मुख़ालिफ़त केलिए एक करपट उम्मीदवार की ताईद की थी । इस तरह ये तहरीक अपने मक़सद से दूर होचुकी है । एक और रुकन का इल्ज़ाम है कि अन्ना हज़ारे के बाअज़ साथी खासतौर पर किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल इंतिहाई हट धर्म रवैय्या इख़तियार किए हुए हैं और उन की वजह से ही दूसरे अरकान का तहरीक में बरक़रार रहना मुश्किल होता जा रहा है ।

अन्ना की एक और क़रीबी साथी मेधा पाटकर ने भी अन्ना के साथीयों की टीम में तबदीलीयों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है और उन का कहना है कि चूँकि बाअज़ अरकान के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात सामने आए हैं और सब को तन्क़ीदों का सामना करना पड़ रहा है इस लिए इस में तबदीलीयां की जानी चाहिऐं ।
उन्हों ने शायद इसी लिए कल दिल्ली में होने वाले इजलास में शिरकत ना करने का फ़ैसला किया है हालाँकि वो टीम अन्ना के साथीयों में किसी तरह के इख़तिलाफ़ात की शिद्दत के साथ तरदीद करती हैं। कांग्रेस जनरल सैक्रेटरी डग वजए सिंह का इल्ज़ाम है कि अन्ना हज़ारे और दूसरे ऐन्टी करप्शन कारकुन दर असल बी जे पी और आर ऐस उसके आला कार बने हुए हैं और इसी की ईमा पर काम कर रहे हैं।

अन्ना हज़ारे और साथीयों ने जिस वक़्त तक महिज़ करप्शन के ख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद को अपना मक़सद और एजंडा बनाए रखा था उस वक़्त तक सूरत-ए-हाल इतनी अबतर ना थी ताहम जैसे जैसे इस टीम के मक़ासिद वाज़िह होने लगे और इस के बाअज़ अरकान की असलीयतें ज़ाहिर होने लगीं उस को नराज की कैफ़ीयत का सामना करना पड़ रहा है ।
अन्ना का कोई साथी कश्मीर में इस्तिसवाब आम्मा की ताईद करता है तो दूसरा हिसार के ज़िमनी इंतिख़ाब में किसी बद उनवान उम्मीदवार की ताईद में बाज़ाबता मुहिम चलाता है । कोई साथी अवामी तंज़ीमों से इज़ाफ़ी रक़ूमात ईंठता है तो कोई इनकम टैक्स क़वानीन के दफ़आत की ख़िलाफ़वरज़ी करते हुए रक़ूमात को बचाने की कोशिश करता है । दर पर्दा आर ऐस ऐस और बी जे पी की ताईद हासिल करने की कोशिश की जाती है और सर आम इस के इज़हार से गुरेज़ किया जाता है ।

ये ऐसे तज़ादात हैं जो करप्शन के ख़िलाफ़ मुहिम को इस के मक़सद से हटा चुके हैं और ये मुहिम धीरे धीरे अपना असर-ओ-रसूख़ खोती जा रही है । जब तक सिर्फ करप्शन को निशाना बनाने का मक़सद-ओ-मंशा रहेगा उस वक़्त तक उस की कामयाबी यक़ीनी होगी ताहम जैसे ही सयासी मक़ासिद वाज़ेह होने लगेंगे फिर उस तहरीक की मक़बूलियत और कामयाबी मशकूक हो जाएगी।