पाकिस्तानी टीम में उनके मुक़ाम पर तन्क़ीद करने वालों को जवाब देते हुए ऑल राउंडर शाहिद आफ़रीदी ने कहा है कि जब वो टीम पर बोझ बनेंगे उससे पहले ही वो क्रिकेट को ख़ैरबाद कह देंगे।
पाकिस्तानी टीम जो कि एशिया कप में ख़िताबी मुक़ाबला श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेलेगी इससे पहले यहां मीडिया नुमाइंदों से इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए शाहिद आफ़रीदी ने कहा कि जब मुझे महसूस होगा कि मैं टीम पर बोझ बन रहा हूँ उससे क़बल ही मैं बैनुल-अक़वामी क्रिकेट से सबकदोश होजाउंगा और किसी को बोलने का मौक़ा नहीं दूंगा।
आफ़रीदी के मुताबिक जब तक फिट और टीम के लिए बेहतर मुज़ाहरा कररहे हैं उनकी क्रिकेट जारी रहेगी। आफ़रीदी ने मज़ीद कहा कि वो अपने मुज़ाहिरों के ज़रिया टीम के लिए कुछ देना चाहते हैं और वो इस हक़ीक़त से भी वाक़िफ़ हैं कि हरवक़त बैटिंग के ज़रिया टीम की कामयाबी में अहम रोल अदा नहीं किया जा सकता है लिहाज़ा वो अपनी बौलिंग पर भी तवज्जो कररहे हैं ताकि बौलिंग और बैटिंग दोनों शोबों में टीम के लिए बेहतर मुज़ाहरा करसकें।
34 साला आफ़रीदी के मुज़ाहिरों में अदम इस्तिक़लाल की वजह से उन पर तन्क़ीदें की जाती रही है लेकिन उन्होंने एशिया कप में हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ अहम मौक़ा पर तेज़ रफ़्तार 34 रन और बंगलादेश के ख़िलाफ़ 25 गेंदों में 59 रन की ग़ैरमामूली इनिंग खेलते हुए पाकिस्तान को फाईनल में पहुंचाया है।
हिंदुस्तान और बंगलादेश के ख़िलाफ़ ग़ैरमामूली मुज़ाहिरों की एहमियत के बारे में इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए आफ़रीदी ने कहा कि में इन दो मुज़ाहिरों को ज़्यादा एहमियत का हामिल भी नहीं बनाना चाहता क्योंकि मैं इस सतह पर कई मर्तबा मुज़ाहिरे करचुका हूँ लेकिन ये दो मुज़ाहिरे मेरे लिए इस लिए एहमियत के हामिल हैं क्योंकि ये इन्फ़िरादी तौर पर मेरे लिए और मजमूई तौर पर मुल्क के लिए बेहतर मुज़ाहिरे हैं।
आफ़रीदी ने कोच की ज़रूरत को रद करते हुए कहा है कि जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ कि मैं बैनुल-अक़वामी सतह पर गुजिश्ता कई सालों से टीम की नुमाइंदगी कररहा हूँ लिहाज़ा मुझे उस सतह पर कोच की ज़रूरत नहीं है क्योंकि मैं जानता हूँ कि क्या करना है और किया नहीं लिहाज़ा मैं ख़ुद का ही कोच हूँ। कोच की ज़रूरत नहीं है लेकिन सही अफ़राद की हिमायत और उनकी जानिब से मिलने वाला एतिमाद ज़रूरी है।
पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के मौजूदा मुआविन अमला के ताल्लुक़ से किए जाने वाले ब्यान का जवाब देते हुए आफ़रीदी ने कहा कि गुजिश्ता की बनिसबत मौजूदा अमला क्रिकेट की बेहतर समझ बूझ रखता है और खिलाड़ियों को मुसबत ज़हन की तैयारी में तआवुन भी करता है। अश्विन के ख़िलाफ़ आख़िरी ओवर्स में दो छक्के लगाते हुए आफ़रीदी ने 1986 मैं हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ शारजा में चेतन शर्मा के ख़िलाफ़ जावेद मियां दाद के छक्के की याद ताज़ा की।