चंद्रा शेखर राव ख़ुद नहीं चाहते कि कोई भी मुस्लमान तेलंगाना में उभर कर आए, जिसकी वाज़िह मिसाल ज़िमनी इंतेख़ाबात के नताइज के बाद महबूबनगर के टी आर एस उम्मीदवार सय्यद इबराहीम की शिकस्त से ली जा सकती है। इन ख़्यालात का इज़हार यहां गंभी राव पेट कांग्रेसी अक़ल्लीयती क़ाइदीन सय्यद नुसरत उल्लाह, मुहम्मद क़ुतुब उद्दीन, सय्यद वलाएत उल्लाह, सय्यद हाश्मी ख़ालिद ने महबूबनगर के इंतेख़ाबी नताइज पर तब्सिरा करते हुए किया।जनाब सय्यद नुसरत उल्लाह ने कहा कि चन्द्र शेखर राव फ़िकरो परस्त ज़हनीयत के हामिल शख़्स हैं। उन्हें मुस्लमानों और उन की तरक़्क़ी से कोई लगाव नहीं है, अगर उन्हें हक़ीक़ी मायनों में इलाक़ा तेलंगाना में मुस्लमानों और सयासी मैदान में उभारना होता तो वो किसी भी सूरत में महबूबनगर से सय्यद इबराहीम की कामयाबी के लिए बी जे पी के उम्मीदवार को सय्यद इबराहीम के हक़ में दस्तबरदार करवाने केलिए दबाव डालते क्योंकि दोनों पार्टीयों का एजेंडा सिर्फ़ हुसूल तेलंगाना है। नुसरत उल्लाह ने कहा कि टी आर एस के अक़ल्लीयती क़ाइदीन के सी आर की तारीफ़ करने में नहीं थकते। उन्होंने इनसे सवाल किया कि तेलंगाना के दीगर मुक़ाम पर भी इंतेख़ाबात मुनाक़िद किए गए वहां बी जे पी ने क्यों अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया, सिर्फ महबूबनगर में ही क्यों?। ये बात आज तमाम मुस्लमानों को समझने की ज़रूरत है जबकि गुज़श्ता दिनों निज़ामाबाद में मुस्लमानों ने तेलंगाना के नाम पर बी जे पी के उम्मीदवार को वोट दिया था।इन क़ाइदीन ने वाज़िह अंदाज़ में कहा कि टी आर एस और बी जे पी एक ही सिक्का के दो रुख़ हैं। बी जे पी ज़ाहिरी है तो टी आर एस अंदरूनी दुश्मन है। चन्द्र शेखर राव बी जे पी के इशारे पर काम कर रहे हैं। महबूबनगर हलक़ा असेंबली से सय्यद इबराहीम को बली का बकरा बनाया गया।