वरंगल लोक सभा हल्क़ा के ज़िमनी चुनाव के नतीजा ने एक तरफ़ बरसरे इक़्तेदार टी आर एस हल्क़ों में ग़ैर मामूली जोशो ख़रोश पैदा कर दिया है तो दूसरी तरफ़ अपोज़ीशन जमातें इस नतीजा पर सदमा का शिकार हैं और वो इस ग़ैर मुतवक़्क़े नतीजा पर कुछ भी तबसिरा करने के मौक़िफ़ में नहीं हैं।
दिलचस्प बात तो ये है कि इंतिख़ाबी मुहिम के आग़ाज़ के बाद इब्तिदा में बरसरे इक़्तेदार पार्टी को कई इलाक़ों में इंतिख़ाबी मुहिम चलाने में अवाम की मुख़ालिफ़त का सामना करना पड़ा था, ताहम चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्र शेखर राव ने इस सूरते हाल से निमटने के लिए जो हिक्मते अमली तैयार की, वो वरंगल में पार्टी की तारीख़ी कामयाबी का सबब बन गई।
इस तरह वरंगल लोक सभा हल्क़ा में टी आर एस उम्मीदवार की रिकार्ड अक्सरीयत से कामयाबी और अपोज़ीशन उम्मीदवारों की ज़मानत का ज़ब्त होना टी आर एस हल्क़ों में पार्टी सदर के सी आर की शख़्सी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी के बावसूक़ हल्क़ों का मानना है कि इंतिख़ाबी मुहिम पर चीफ़ मिनिस्टर रास्त तौर पर नज़र रखे हुए थे और वो पार्टी क़ाइदीन के इलावा इंटेलिजेंस से वक़्तन फ़वक़्तन अवामी रुजहान के बारे में रिपोर्ट हासिल कर रहे थे।
एक मरहले पर ख़ुद टी आर एस हलक़े भारी अक्सरीयत से कामयाबी पर शुबहात का इज़हार कर रहे थे। उनका कहना था कि के श्री हरी को 3 लाख 90 हज़ार वोटों की अक्सरीयत से कामयाबी हासिल हुई थी और मौजूदा उम्मीदवार पी दयाकर एक ता दो लाख वोटों की अक्सरीयत से कामयाब होंगे।
बताया जाता है कि के सी आर ने तवील सियासी तजुर्बे और तोड़ जोड़ की सियासत का भी भरपूर इस्तेमाल किया और कई अपोज़ीशन क़ाइदीन ने दरपर्दा तौर पर टी आर एस की मदद की या फिर वो मुहिम से दूर हो गए।