बच्चे को स्मार्ट बनाने से काम नहीं चलेगा। न ही एग्जाम की तैयारी से कोई फायदा होनेवाला है। बर्थ सर्टिफिकेट और एड्रेस प्रूफ से भी कोई मदद नहीं मिलनेवाली। बच्चे का एडमिशन अब आपके और आपके बच्चे के किस्मत ही फैसला करेगा। इन दिनों हर घर में बच्चे के एडमिशन की तैयारी जोरों पर है। एडमिशन की तैयारी के लिए जहां बच्चों को ट्यूशन दिया जा रहा है वहीं बेसिक एजुकेशन की भी ट्रेनिंग दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद एडमिशन के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
तालीम के हकूक कवानीन से बाहर हैं मिशनरी स्कूल
आरटीइ के दायरे से मिशनरी स्कूल के बाहर होने के बाद भी वहां पर लॉटरी सिस्टम से ही एडमिशन लिया जाता है। माउंट कार्मेल हाइस्कूल में बेटी के लिए रजिट्रेशन करवा चुके राजीव गुप्ता ने बताया कि गुजिशता साल सारी तहक़ीक़ात अमल काफी अच्छी थी। सारी खामियों के लिए तफ़सीश भी काफी बढ़िया रही, लेकिन जब रिजल्ट आया तो मेरी बेटी का नाम लिस्ट में नहीं था। स्कूल से पूछने पर पता चला कि एडमिशन के लिए बच्चों के नाम की लिस्ट लॉटरी से निकाली गई है। ऐसे में कोई कुछ नहीं कहा जा सकता। यही हाल राजवंशी नगर की रहने वाली पंखुड़ी सिंह का हुआ। पंखुड़ी सिंह ने बताया कि जब आरटीइ मिशनरी स्कूलों में लागू नहीं है तो फिर लॉटरी से एडमिशन पर रोक लगायी जाये।
चार गुना ज़्यादा बिकता है फॉर्म
हर एक स्कूल सीट से चार से पांच गुणा ज़्यादा फार्म की बिक्री हर साल करता है। तालीम का हक़ कानून के नियम के मुताबिक कोई भी स्कूल सीट का दोगुना ही फार्म बेच सकता है। लेकिन इसका अमल किसी भी स्कूल ने साल 2013 में नहीं किया। जिस स्कूल में मांटेसरी में 100 सीटें हैं वहां पर दो हजार फार्म की फरोख्त हुई। जहां 150 सीटें हैं वहां पर 2500 के ऊपर रजिस्ट्रेशन फार्म की फरोख्त हुई।