वाशिंगटन: राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ओहायो में आठ दिसंबर को एक रैली में डोनल्ड ट्रंप ने कहा था “अमरीकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया और उन्हें मजबूर किया गया कि वह उसी नौकरी के लिए विदेशी कर्मचारी को प्रशिक्षण भी दें, बहुत से विदेशी कर्मचारी अमरीका में लाए जा रहे हैं. अब ऐसा नहीं चलेगा.”
ट्रंप के कई चुनावी वादों में से एक अहम वादा यह भी है कि वह अप्रवासन क़ानून में बदलाव लाएंगे. खासकर विदेशी कर्मचारियों को अमरीका में काम करने संबंधी क़ानून में वह बड़े बदलाव की बात करते रहे हैं.
बीबीसी के अनुसार, अमरीका में पढ़ाई कर रहे बहुत से भारतीय छात्र एच1बी वीज़े पर अमरीकी कंपनियों में ही नौकरी करने की चाहत रखते हैं, लेकिन कई छात्र ट्रंप की बातों से चिंता में हैं.
धीरज पिल्लई ने आईआईटी मुंबई में पढ़ाई करने के बाद इस साल न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की. उन्हें तो जल्द ही एक कंपनी ने नौकरी पर रख लिया. लेकिन धीरज कहते हैं कि उनके बहुत से भारतीय छात्र साथियों को अभी अमरीका में नौकरी नहीं मिली है.
धीरज पिल्लई कहते हैं,”मुझे लगता है कि अगर इतने पैसा लगाकर पढ़ाई करें और उसके बाद भी लॉटरी के ज़रिए हमारा भविष्य तय हो तो बड़ा मुश्किल है. अमरीका में एच1बी कानून के तहत लॉटरी सिस्टम से विदेशी छात्रों को अमरीका में पढ़ाई करने के बाद फ़ाइनेंस, आईटी आदि क्षेत्रों में अमरीकी कंपनियां नौकरी पर रखती हैं.
डोनल्ड ट्रंप ने सिनेटर जेफ़ सेशंस को अमरीका का नया अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया है. सिनेटर जेफ़ सेशंस अप्रवासन क़ानून में बड़े बदलाव के हमेशा पक्षधर रहे हैं. वह एच1बी वीज़ा में भी बड़े बदलाव की वकालत करते रहे हैं.
पिछले महीने डोनल्ड ट्रंप के साथ गूगल, फ़ेसबुक, माइक्रोसॉफ़्ट, ऐपल जैसी अमरीका की कई मशहूर टेक कंपनियों के अधिकारियों ने न्यूयॉर्क में ट्रंप टावर में निर्वाचित अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के साथ बैठक की थी.
इस बैठक के दौरान माइक्रोसॉफ़्ट के भारतीय मूल के सीईओ सत्या नडेला ने कहा था कि अमरीकी कंपनियों को जब ज़रूरत हो तो विदेश से प्रतिभाशाली लोगों को नौकरी पर रखने की छूट होनी चाहिए.
जुलाई महीने में रिपब्लिकन कन्वेंशन में कहा गया था, “अमरीका में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है, ऐसे में हर साल 10 लाख विदेशियों को ग्रीन कार्ड के ज़रिए अमरीका में लाना किसी तरह जायज़ नहीं है.”
अप्रवासन कानून में बदलाव को लेकर कई डेमोक्रेट भी रिपब्लिकन पार्टी का साथ देते हैं. लेकिन इस वीज़ा कानून में बड़े बदलाव के लिए ट्रंप को अमरीकी संसद की मंज़ूरी ज़रूरी होगी.