ट्रंप ने भी अपनी गोपनीय यात्रा की पुष्टि की है और कहा कि बड़े खेद की बात है कि सात ट्रिलियन डालर मध्यपूर्व में खर्च करो किन्तु वहां जाने के लिए अपनी यात्रा को इस सीमा तक गुप्त रखो और हर वह कार्य करो जिससे सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच जाओ।”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गोपनीय इराक यात्रा का न केवल इराकी अधिकारीयों और जनता ने विरोध किया बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि पूरा मध्यपूर्व अमेरिका के खिलाफ है।
ट्रंप बुधवार को गोपनीय ढंग से इराक के पश्चिम में स्थित अलअंबार प्रांत में स्थित एक सैनिक छावनी में पहुंचे थे। रोचक बात यह है कि उनकी इस यात्रा का किसी भी इराकी अधिकारी ने स्वागत नहीं किया और इराकी प्रधानमंत्री ने भी उनसे मुलाकात नहीं की।
उनकी इस औचक यात्रा पर इराकियों के मध्य बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया दिखाई गयी यहां तक संचार माध्यमों ने सूचना दी कि बगदाद में अमेरिकी दूतावास के निकट विस्फोट की आवाज़ सुनाई दी।
ट्रंप ने भी अपनी गोपनीय यात्रा की पुष्टि की है और कहा कि बड़े खेद की बात है कि सात ट्रिलियन डालर मध्यपूर्व में खर्च करो किन्तु वहां जाने के लिए अपनी यात्रा को इस सीमा तक गुप्त रखो और हर वह कार्य करो जिससे सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच जाओ।”
यहां एक सवाल यह है कि पूरा मध्यपूर्व विशेषकर इराकी लोग इस सीमा तक अमेरिका के खिलाफ क्यों हैं? इसके जवाब में कहना चाहिये कि अमेरिका की जो नीतियां है उसके कारण इराक और मध्यपूर्व के लोग अमेरिका से इतनी घृणा करते हैं। अमेरिका आतंकवाद से मुकाबले का दावा करता है परंतु व्यवहारिक रूप से इराक और सीरिया सहित मध्यपूर्व के दूसरे क्षेत्र आतंकवादी गतिविधियों के केन्द्र बन गये।
रोचक बात यह है कि चुनावी रैलियों के दौरान स्वयं ट्रंप ने कहा था कि दाइश सहित आतंकवादी गुटों को अमेरिका ने बनाया है। अमेरिका ने हालिया वर्षों में जो दाइश से मुकाबले का करता है व्यवहारिक रूप से आतंकवाद का समर्थन किया है या उसने दाइश को समाप्त करने के लिए कुछ नहीं किया है। यह एसा विषय नहीं है जिससे इराक का आम जनमत और मध्यपूर्व के दूसरे लोग अवगत न हों।
बहरहाल ट्रंप का गुप्त रूप से इराक जाना, किसी इराकी अधिकारी का उनसे भेंट न करना और इसी प्रकार सीरिया से अपने सैनिकों को निकालने का निर्णय इस बात का सूचक है कि अमेरिका ने अपनी हार स्वीकार कर ली है और अब अमेरिकी दादागारी का समय समाप्त हो चुका है।
साभार- ‘parstoday.com’