ट्रेन हादिसात में बेतहाशा इज़ाफ़ा, रेलवे पुलिस की ग़फ़लत का नतीजा

नुमाइंदा ख़ुसूसी- हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद में हालिया अर्सा के दौरान रेल हादिसात में ग़ैर मामूली इज़ाफ़ा हुआ है। ज़्यादा तर हादिसात चंद्रा नगर, लिंगम पल्ली , काची गुड़ा, नामपल्ली , ख़ैरताबाद, याक़ूत पूरा, दुबिर पूरा, फ़लक नुमा, शिवराम पल्ली , उपुगुड़ा में पेश आते रहते हैं। गुज़िश्ता एक साल का रिकार्ड देखा जाय तो हर माह औसतन 40 , 50 अफ़राद ट्रेनों की ज़द में आकर हलाक हुए हैं। इन महलूकीन में तलबा-ए-ओ- तालिबात, ज़ईफ़-ओ-नौजवान मर्द, भीक मांगने वाले मर्द-ओ-ख्वातीन , नशा के आदी अफ़राद शामिल हैं।

रेलवे पुलिस के ओहदेदारों के मुताबिक़ शिवराम पल्ली से लेकर लाला गुड़ा तक जितने भी रेलवे स्टेशन हैं या दोनों शहरों और मुज़ाफ़ात के जिन जन इलाक़ों से रेलवे पटरियां गुज़रती हैं इस के अतराफ़-ओ-अकनाफ़ ग़नजान आबादी है। रेलवे पटरियों के बिलकुल मुत्तसिल (सटे हुए) मकानात तामीर कर लिए गए हैं।

वहां कोई ख़ारदार तार या रुकावटें खड़ी नहीं की गईं जिस के नतीजा में आए दिन ट्रेनों की ज़द में आकर लोग मर रहे हैं। राक़िम उल-हरूफ़ ने रेलवे के ओहदेदारों और रेलवे पुलिस के ओहदेदारों से गुफ़्तगु की जिस पर पता चला कि कई ऐसे मुक़ामात हैं जहां पटरियां शहरीयों के लिए मौत के मुंह में पहुंचाने वाली पटरियों में तबदील हो गई हैं।

ख़ासकर फ़लक नुमा ता दुबिर पूरा, हफ़ीज़ पेट, बोरा बंडा, फ़तह नगर, बोरा बंडा, सीताफल मंडी, फ़लक नुमा जैसे स्टेशनों के दरमयान ही ज़्यादा तर हादिसात पेश आते हैं। हालाँकि फ़लक नुमा , उपुगुड़ा, याक़ूत पूरा, दबीर पूरा, कनदीकल गेट, लाला गुड़ा, मौला अली, सीताफल मंडी, फ़तह नगर, भारत नगर, बोरा बंडा, मल्लिका जगीरी,हफ़ीज़ पेट जैसे मुक़ामात से गुज़रने वाली पटरियों को इंतिहाई ख़तरनाक इलाक़ों में शुमार किया जाता है।

इन ही इलाक़ों में ट्रेनों की ज़द में आकर लोग हलाक होते हैं। हम ने इन मुक़ामात के तफ़सीली दौरे से यही पाया कि अक्सर स्टेशनों के क़रीब नशा करने वाले लोग थे जो हालत नशा में पटरियों पर ऐसे घूम फिर रहे थे जैसे किसी मैदान या पार्क में चहलक़दमी कर रहे हों।

अक्सर मुक़ामात पर बच्चे भी पटरियों पर खेलते देखे गए। तस्वीर में आप 8 ता 10 मासूम बच्चों को बड़ी बेफ़िकरी से रेलवे पटरियों पर देख सकते हैं। तफ़सीली दौरा से इस बात का इन्किशाफ़ हुआ कि इन हादिसात में जहां अवाम की ग़फ़लत का अहम रोल है वहीं रेलवे पुलिस भी इस के लिए ज़िम्मेदार है।

पुलिस की जानिब से रेलवे पटरियों पर पैट्रोलिंग की जानी चाहीए,वो नहीं की जाती। बोर्ड आवेज़ां करते हुए अवाम को पटरियां उबूर करने के ख़िलाफ़ इंतिबाह दिया जाना चाहीए। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता। ख़तरनाक मुक़ामात पर ख़ारदार जालियां भी नसब नहीं की जातीं। ऐसे में हर रोज़ ट्रेन के हादिसात पेश आ रहे हैं।

इस बात का भी पता चला कि ज़्यादा तर अम्वात (मौत) ऐम टी एस ट्रेनों की ज़द में आने से होती हैं इस की वजह ये है कि एम टी एस ट्रेनें दीगर ट्रेनों की बनिसबत चौड़ी होती हैं। । इस सिलसिला में फ़लक नुमा स्टेशन के क़रीबी इलाक़ों फ़ारूक़ नगर, फ़ातिमा नगर, हाशिम आबाद के इलावा जामिआ उस्मानिया स्टेशन मल्लिका जगीरी, कनदीकल गेट स्टेशनों के क़रीबी इलाक़ों के मकीनों को एहतियात बरतनी चाहीए। अवाम को ये भी नहीं मालूम कि रेलवे पटरियों पर से चलना क़ानून रेलवे की दफ़ा 147 के तहत ममनू है।

इस क़ानून की ख़िलाफ़वरज़ी की सूरत में 500 रुपय जुर्माना या दस दिन की जेल भी हो सकती है। ज़रूरत इस बात की है कि महिकमा रेलवे और रेलवे पुलिस इस क़ानून के बारे में अवाम में शऊर बेदार करें। उन्हें पटरियां उबूर (पार) करने से रोके। ये तब ही मुम्किन है जब महिकमा रेलवे और रेलवे पुलिस के ओहदेदारों में शऊर बेदार हो।