ट्रैफिक पुलीस अमला ड्यूटी के बजाय वक़्त गुज़ारी में मसरूफ़

ड्यूटी तो बाद में होती रहेगी पहले ज़ाती मस्रूफ़ियत और शख़्सी काम को निमटा लें एसा ही कुछ तरीके कार्बन गया है । शहर के ट्रैफिक पुलीस शोबे का और उन के इस तरीके कार पर शहरियों ने इस तरह के ख़्यालात का इज़हार किया है और शहरियों के इन ख़्यालात को सियासत न्यूज़ ने तस्वीरों में पेश किया है जिस से ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है ।

शहर की ट्रैफिक का निज़ाम दिरहम ब्रहम क्यों है और किसी वझे से चाला नात में उजलत और मुबय्यना हरासानी का मुज़ाहरा किया जाता है ।

शहरियों की अक्सरियत आजकल सड़कों पर आज़ादाना अंदाज़ में घूमने से परेशान हैं । चूँकि लापरवाह ट्रैफिक अमला और सड़कों पर गैर मजाज़ पार्किंग इन दिनों शहरियों की ज़हनी तकलीफ़ का बाइस बिन गए बजाय के शहर की सड़कों के मसाएल को हल किया जाये ।

सिटी पुलीस का ट्रैफिक शोबे सरकारी ख़ज़ाने की फ़िक्र में जुडे रहते है और उन पर ये इल्ज़ाम भी है के वो सरकारी ख़ज़ाने की फ़िक्र में अपने ख़ज़ाने को भी कुछ हद तक भरने की फ़िक्र में जुड जाते हैं और ट्रैफिक को शहरियों के हाल पर छोड़ दिए हैं ।

अपनी ज़ाती मस्रोफियत और अपने ममेलात और थकन को दूर करने के बाद जब वक़्त मिलता है तो वो अपने निशाना को पूरा करने केलिए बेधड़क अंदाज़ में जुर्माना लगते हैं । ट्रैफिक पुलीस शोबे की कारकर्दगी शहरियों को आरामी के बजाय उन की मुश्किलात में इज़ाफ‌ का मूजिब बिन रहे हैं ।

शहरियों ने ट्रैफिक पुलीस के रवैय्या को लेकर ना सिर्फ़ बे चैनी पाई जाती है बलके शहरियों को अक्सरियत ने अपनी बदज़नी का इज़हार किया है ।