आंध्र प्रदेश को एकजुट रखने के लिए सड़कों पर होने वाले एहतिजाजी मुज़ाहिरे से रियासत के रायलसीमा और आंध्र इलाके जिसे एक साथ सीमांध्र के नाम से जाना जाता है के करीब 5 करोड़ लोगों की ज़िंदगी ठहर सी गयी है। तेलंगाना इलाके को अलैहदा रियासत का दर्जा देने का फैसला सामने आने के बाद से इस इलाके में एहतिजाज व मुज़ाहिरा जारी है।
करीब एक महीने से आम ज़िंदगी परेशान है। इंतेज़ामिया अपाहिज हो गई है, सरकारी दफ्तर बंद हैं, सभी स्कूल भी बंद हैं। एकजुट आंध्र मुज़ाहिरा 30 जुलाई को तभी से शुरू हो गए जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने आंध्र प्रदेश को तकसीम के बारे में अपने फैसले का ऐलान किया।
चार लाख से ज्यादा सरकारी मुलाज़िम और दो लाख टीचर्स हड़ताल पर हैं। हुकूमत की (एपी)(एसआरटीसी) की बसें तीन हफ्ते से सड़कों पर नहीं दौड़ रही हैं।
रायलसीमा में इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है। इस इलाके में चार जिले अनंतपुर, कड़पा, चित्तूर और कुरनूल आते हैं। इक्तेसादी तौर पर पसमांदा ( पिछड़े) इस इलाके की 1.5 करोड़ जनता एहतिजाजी मुज़ाहिरों और बंद से पिस रही है। सबसे ज्यादा मार आम लोगों पर पड़ रही है।
इस इलाके के 13 जिलों में 50 हजार सरकारी स्कूल बंद हैं जिससे 50 लाख बच्चों मी तालीम मुतास्सिर हो रही है। निजी स्कूल कई शहरों में आम तौर पर कामकाज कर रहे हैं।
कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर वे उस फैसले की मार क्यों सहें जिसमें उनका कोई किरदार ही नहीं है।
मगरिबी गोदावरी जिले के एलुरु कस्बे की एक सरकारी टीचर टी। राजकुमारी ने कहा, ”तेलंगाना पर आए फैसले का जिन पर असर पड़ना है उन लोगों ने एहतिजाजी मुजज़ाहिरा शुरू किया। यह एक कुरबानी है जिसके जरिए वे दिल्ली को यह पैगाम देना चाहते हैं कि उन्हें तकसीम मंजूर नहीं है।”
हड़ताल की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। APSRTC आमतौर पर हैदराबाद विजयवाड़ा के लिए 1500 बसें चलाती है लेकिन हड़ताल की वजह से यह खिदमात ठप है। इसकी वजह से प्राइवेट आपरेटरों की चांदी बन आई है। विजयवाड़ा के लिए किराया 300 रुपये है जबकि प्राइवेट ऑपरेटर 600 से 900 रुपए वसूल रहे हैं।
————बशुक्रिया: आईएएनएस