ठेला बंडी, आटो रिक्शा तक मुसलमानों को महिदूद रखने की साज़िश

रियासत तेलंगाना के मुसलमान अपनी खोई हुई तारीख की तलाश और नई तारीख को रक़म करने की कोशिश में जद्दो जहद कर रहे हैं। वो क़ौम जो कभी जागीर, मन्सब आराज़ीयात रुत्बा ओहदा बाग़ात और रियासत के उमरा में अपना शुमार रखती थी। आज अपनी खोई हुई साख की तलाश में जुट गई है।

जिन शोबों में मुसलमान आला ओहदों पर फ़ाइज़ थे और जिन शोबों का क़ियाम भी मुसलमानों की फ़िरासत से अमल में लाया गया था। आज उन शोबों में मुसलमान ढ़ूढ़ने से नहीं मिलते 65 साला की तारीख में मुसलमान जिन दफ़ातिर से क़वानीन जारी करते थे आज उन दफ़ातिर के क़वानीन में मुसलमानों की हक़ तल्फ़ी और उनसे इम्तियाज़ जारी है।

तालीमी और मआशी तौर पर मुसलमानों को हद दर्जा पसमांदा बनाया गया और वक़्त की हुकूमतों के साथ हमारे अपनों ने भी रही बाक़ी कसर को पूरा कर दिया। मौजूदा हुकूमत की जानिब से मुसलमानों की तरक़्क़ी के लिए मुख़तस बजट और स्कीमात का जायज़ा लें और उन्हें दर्जा फ़ेहरिस्त अक़्वाम और क़बाइल से उनका तक़ाबुल करें तो हैरत होगी। तक़ाबुल से ऐसा महसूस होता है कि इसके लिए सियासी ओहदों पर फ़ाइज़ मुसलमान मुस्लिम क़ाइदीन या फिर सरकारी मुस्लिम अफ़ीसरान ज़िम्मेदार हैं।

मुसलमानों की हिसारबंदी सफ़ाई मुशाविरों और अदबी प्रोग्रामों के लिए सर्फ किए जाते हैं और नई हुकूमत की नई पॉलीसी रमज़ानुल मुबारक में इफ़तार करवाना कपड़ों की तक़सीम जैसे इक़दामात में इस के बरअक्स अगर तेलंगाना के 10 अज़ला में सिर्फ एक ही ज़िला रंगा रेड्डी में 150 करोड़ रुपये की 80 फीसद सब्सीडी स्कीम एस सी तबक़ा के लिए राइज की गई जबकि मुसलमानों के लिए स्कीम तैयार करने में ही सरकारी मुसलमान नाकाम रहे।

हुकूमत को चाहीए कि एस सी कारपोरेशन की जानिब से निशानदेही कर्दा तमाम 100 कारोबार मज़कूरा रियाइतों के साथ अक़लीयतों के लिए भी शुरू करते हुए अक़लीयतों की तरक़्क़ी के बारे में अपनी संजीदगी का सबूत दे।