डाक्टरों के लिए देही ख़िदमात क़ानून का लज़ूम

बैंगलोर 11 अगस्त: वज़ीर-ए-सेहत यूटी क़ादिर ने कहा कि रवां साल से ही देही इलाक़ों में सरकारी डाक्टरों की ख़िदमात का लज़ूम लागू कर दिया जाएगा।

इस सिलसिले में रियासती हुकूमत ने नोटीफ़िकेशन जारी कर दिया है।उन्होंने कहा कि डाक्टरों की देही ख़िदमात का क़ानून नाफ़िज़ होने के साथ हर साल कम अज़ कम 2500 डाक्टरों को देही ख़िदमात पर मामूर किया जाएगा।

रियासत के हर प्राइमरी हैल्थ सेंटर में एक एक डाक्टर को तायिनात किया जाएगा। अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि डाक्टरों की देही ख़िदमात यक़ीनी बनाने के लिए राजीव गांधी हैल्थ यूनीवर्सिटी को नूडल इदारा बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि एमबी बी एस तलबा अगर पोस्ट ग्रेजूएशन करना चाहेंगे तो उन्हें देही ख़िदमात से आरिज़ी रियाइत दी जाएगी , अलबत्ता पोस्ट ग्रेजूएशन मुकम्मिल होने के बाद उन्हें देही ख़िदमात अंजाम देनी होंगी।

कौंसलिंग और मेरिट की बुनियाद पर डाक्टरों को देही इलाक़ों में ख़िदमात के लिए तायिनात किया जाएगा, साल में दो मर्तबा ये कौंसलिंग की जाएगी।

देही इलाक़ों में तायिनात डाक्टरों को हुकूमत की तरफ़ से मुशाहिरा अदा किया जाएगा।एमबी बी एस डाक्टरों को 38 हज़ार रुपये और पोस्ट ग्रेजूएट डाक्टरों को42 हज़ार रुपये माहाना दिए जाऐंगे।

उन्होंने कहा कि देही इलाक़ों में लाज़िमी ख़िदमात क़ानून के तहत डाक्टरों की तायिनात के बाद भी अगर डाक्टर बचे रहे तो उनकी ख़िदमात दुसरे रियासतों में इस्तेमाल में लाई जाएँगी। इस सिलसिले में जल्द ही वो मर्कज़ी वज़ीर-ए-सेहत से बात करेंगे।