मंसूबा बंदी कमीशन के नायब सदर नशीन मोंटेक अहलुवालिया ने आज कहा कि जारीया माली साल के दौरान रवां खाता का ख़सारा( सी ए डी) मजमूई घरेलू पैदावार के.5 फ़ीसद और 2.7 फ़ीसद के दरमयान रहेगा।
उन्होंने ये इशारा भी दिया कि आलमी क्रंसीयों के मुक़ाबले रुपये का मौजूदा मौक़िफ़ बेहतर और मसह बिकती है। अहलुवालिया ने इंडियन स्कूल आफ़ बिज़नस ( आई एसबी) की एक तक़रीब में शिरकत के मौके पर अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि ये मेरा नज़रिया है कि ( सी ए डी ) बहरसूरत 3 फ़ीसद से कम रहेगा।
वज़ारते फाइनैंस ने कहा है कि ये फ़ीसद कहीं ज़्यादा बेहतर है और में समझता हूँ कि ये एक अच्छी ख़बर भी है कि ( सी ए डी ) 3 फ़ीसद से कम रहेगा लेकिन मुझे कहने दिया जाये तो में ये आदाद 2.5 फ़ीसद और 2.7 फ़ीसद के दरमयान कहना चाहता हूँ।
रवां खाता का ख़सारा दरअसल बैरूनी ज़रे मुबादला की आमद-ओ-रफ़्त के दरमयान एक फ़र्क़ है जो पिछ्ले माली साल के दौरान 88.2 बिलीयन अमरीकी डालर या मजमूई घरेलू पैदावार का 4.8 फ़ीसद हिस्सा था।
वज़ारते फाइनैंस को तवक़्क़ो है कि रवां माली साल के दौरान ये 56बिलीयन डालर या इस से कम रहेगा। आलमी क्रंसीयों के मुक़ाबले हिंदुस्तानी रुपये की क़दर में कमी पर उन्होंने कहा कि पिछ्ले चंद माह से तक़ाबुल किया जाये तो रुपये की मौजूदा हालत मुल्क के लिए बुरी नहीं है।