डिंगरहेड़ी(तावड़ू), मेवात, की सच्चाई

दिल्ली से 50 किलोमीटर, गुड़गाँव से 20 किलोमीटर एवं नुंह से 16 किलोमीटर की दूरी पर कुण्डली-पलवल-मानेसर एक्सप्रेस हाईवे पर स्थित है डिंगेरहेडी गॉव। मेवात ज़िला के तावड़ू प्रखण्ड कार्यालय से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डिंगेरहेड़ी गाँव में मेव, गुर्जर, जाट और अहीर की संयुक्त आबादी है। साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल इस गाँव में सैकड़ों वर्षों से सभी समुदाय के लोग एक साथ रहते आ रहे हैं। ग्रामीणों का प्रमुख पेशा कृषि है। गाँव के ही जहीरुद्दीन साहब का परिवार, गाँव से बाहर 100 मीटर की दूरी पर कुण्डली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस हाईवे से सटे दिल्ली के एक जाट परिवार की खेतों को बँटाई पर लेकर खेती करते हैं। उनका पूरा परिवार उसी खेत में एक छोटी सी झोपड़ी डालकर रहता है।

परिवार के सभी सदस्य 24-25 अगस्त की अर्ध रात्रि को लगभग 11:45 बजे सो रहे थे। परिवार के सदस्य तीन अलग-अलग जगहों पर सो रहे थे। जहीरुद्दीन साहब के बेटे और बहू पेड़ के नीचे एक ही जगह सो रहे थे। उससे लगभग दस मीटर की दूरी पर जहीरुद्दीन साहब के दामाद और बेटी सो रहे थे। और इनके पास में ही 14 वर्षीय जहीरुद्दीन जी का नवासा भी सो रहा था। जहीरुद्दीन जी की दो अलग-अलग बेटियों की दो बेटी यानि की उनकी दो नवासी कमरे के भीतर सो रही थी। उस खेत से लगभग 50 मीटर कि दूरी पर जहीरुद्दीन साहब सो रहे थे। रात्रि के लगभग 1:00 बजे कुछ इंसान नुमा दरिंदे जहुरूद्दीन साहब के घर पर पहुँचकर दरिंदगी की हद पर कर देते हैं। वहशी दरिंदे घर में हत्या, बलात्कार और लूट-पाट जैसी भीषणतम घटना को अंजाम दे देते हैं।

दरिंदों का वहशीपन

इस पूरे घटना में जहीरुद्दीन साहब के बेटे और बहू की हत्या करके हाथों को बांध दिया जाता है। हत्या के बाद दोनों की लाश को अलग-अलग पटक दिया गया। पीड़ित के मुताबिक बहू की लाश पेड़ के नीचे पड़ी थी जबकि बेटे की लाश बहू की लाश से दस मीटर की दूरी पर रखी हुई थी। दूसरे स्थान पर जहीरुद्दीन साहब की बेटी और दामाद को मार पीटकर बेहोश कर दिया गया था। इन दोनों के हाथों को भी बांध दिया गया था। दामाद बेहोशी की हालत में पड़ा रहा जबकि बेटी की एक हाथ को तोड़कर चारपाई से बांध दिया गया। इन दोनों के पास ही सो रहे एक बालक के साथ भी जमकर मार-पीट की गई और उसके हाथों को भी बांध दिया गया था। दोनों स्थानों पर वारदात को अंजाम देने के बाद वहशी दरिंदे कमरे की तरफ बढे और कमरा में सो रही दोनों लड़कियों की तरफ़ लपके। दो लड़कियों मे से एक की उम्र 15 वर्ष है और दूसरी लड़की के पास आठ महीना का एक मासूम बच्चा है। नाबालिग लड़की के साथ बरी बारी से सामूहिक बलात्कार किया गया। डर के मारे बड़ी लड़की घबराकर भागने लगी। तभी बदमाशों ने आठ महीने के बच्चे को उल्टा टांग कर चाकू भिड़ा दिया। डरकर लड़की वापस लौट आयी। बदमाशों ने बारी-बारी से दोनों लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया। कुछ लोग युवतियों के साथ बलात्कार कर रहे थे। उसी बीच कुछ लोग जहीरुद्दीन साहब के दामाद और बेटियों को पीट -पीटकर अधमरा कर रहे थे। बलात्कार के बाद महिलाओं के आभूषण को नोच भी लिया गया। जहीरुद्दीन साहब के दामाद कोल्ड-ड्रिंक के व्यापारी हैं। घर में कैश डेढ़ लाख रुपया रखा हुआ था। बदमाशों ने कैश लूट लिया। कैश लूटने के बाद बक्सा-पेटी को उलट-पुलट करके जो भी चीजें हाथ लगीं सबको लूट लिया। इस लूट से भी अपराधियों का दिल नहीं भरा तो अनाज से भरी कोठी को पलटकर सभी अनाज जमीन पर फैला दिया। घटना को अंजाम देने के बाद घटना-स्थल पर पड़ी मोटरसाइकल को लेकर दो बदमाश केएमपी तक गए और वहीँ पर छोडकर चला गया। इस पूरे घटनाक्रम को रात्रि के एक बजे से लेकर तीन बजे तक अंजाम दिया जाता है।

सोच-विचार
यह घटना बहुत ही रहस्यमयी है। पूरी घटना को लगभग दो हनते तक अंजाम दिया जाता है, मगर घर के दूसरे हिस्से में आवाज़ तक नहीं होती है। पहली घटना जहाँ पर दो लोगों की हत्या की जाती है, दूसरी घटना जहाँ पर दो लोगों को अधमरा किया जाता है और तीसरी घटना बलात्कार की होती है। इस पूरी घटनाक्रम में निम्नलिखित रहस्य हैं।
अपराधियों की संख्या चार से अधिक थी।
कुछ अपराधी पूरब की तरफ से और कुछ अपराधी पश्चिम की तरफ से आये होंगे
पूरब वाले अपराधियों ने जहीरुद्दीन साहब के बेटे और बहू की हत्या की होगी और पश्चिम की तरफ से आए हुए अपराधियों ने उनकी बेटी और बहू के साथ मार-पीट किया होगा।
आश्चर्य की बात यह है की दो घंटों तक मार-पीट होती रही, लेकिन परिवार के दूसरे सदस्यों को मालूम तक नहीं पड़ा।
संभव है की घटना को अंजाम देने से पूर्व नशा के लिए कुछ सूंघा दिया गया हो, क्योंकि पीड़िता के अनुसार जोरदार पिटाई के बाद भी कराहने की आवाज़ नहीं निकल रही थी।

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गाँव की महिलाओं से बात करने के बाद जो तथ्य सामने आये हैं उसके मुताबिक सिर्फ दो बलात्कार नहीं हुआ था बल्कि उस दिन तीन बलात्कार हुए थे। जहीरुद्दीन साहब की बहू की लाश उनके बेटे की लाश से अलग पड़ी थी। कफन देने वाली महिलाओं ने पुष्टि की है कि मरहूमा के साथ भी बलात्कार किया गया था क्योंकि निजी अंगों पर चोट के निशान थे, हालाँकि चिकित्सीय जांच आना अभी बाकी है।

घटना के बाद

घटना के बाद जहीरुद्दीन साहब की बेटी को थोड़ी देर के बाद होश आती है। उसके दोनों हाथ दुपट्टे से बंधे हुए थे। उसका एक हाथ टूटा हुआ है। किसी तरह खुद को खोलते हुए चौदह वर्षीय बच्चे के बंधन को भी खोलती है। बालक को भी बहुत काफी छोटे लगी हैं। उस झोपड़ी से 50 मीटर की दूरी पर दूसरे प्लॉट पर सो रहे जहीरुद्दीन साहब को जाकर वही बालक ख़बर करता है। जहीरुद्दीन दौड़कर गाँव जाते हैं। फिर मस्जिद से एलान किया जाता है कि गाँव में डाकू घुस आये हैं। गाँव के लोग एलान के बाद घटना-स्थल पर पहुँचते हैं। पुलिस को ख़बर किया जाता है। एक घंटा के बाद डीएसपी की अगुवाई में तावडू थाना की पुलिस पहुँचती है। पुलिस पीड़ितों को गाड़ी में लादकर राजा हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज, नुंह, लेकर पहुँचती है। पीड़ितों में से दो की मृत्यु पहले ही चुकी होती है। उसके बाद शेष को मेडिकल कॉलेज और सिविल हॉस्पिटल मे भर्ती कराया गया।

घटना के बाद पुलिस का रवैया
बिना किसी को जानकारी दिए पुलिस बलात्कार पीड़िताओं को सुबह 09:00 बजे महिला पुलिस सेल लेकर पहुँच जाती है। सुबह 11:00 बजे ज़िला मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके पीड़िता से धारा 164 के तहत ब्यान दर्ज कर लिया जाता है।

जहीरुद्दीन के चौदह वर्षीय नवासे के ब्यान के आधार पर स्केच तैयार किया जाता है। स्केच के आधार पर डिंगरहेड़ी गाँव के पड़ोस के गाँव के चार लोगों को संदेह के आधार पर आईपीसी की धारा-160 के अनुसार पूछताछ के लिए बुलाया जाता है। बाद में करमजीत, अमरजीत, संदीप और राहुल को स्केच के आधार पर पुलिस गिरफ्तार करके कस्टडी में ले लिया जाता है।

प्रशासनिक अनियमितता

पूरी घटना में निम्नलिखित प्रशासनिक अनियमिततायेँ बरती गई हैं —
पुलिस का कर्तव्य बनता था की घटना-स्थल पर पहुँचने के तुरंत बाद ही प्राथमिकी दर्ज करती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। प्राथमिकी दोपहर के आस-पास दर्ज होती है।
नियमतः पीड़िता को पहले कॉउंसलर उपलब्ध कराया जाता है। कॉउंसलर पीड़िता की काउन्सेलिंग करती है और पीड़िता को ब्यान देने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। मगर हरियाणा पुलिस बिना किसी के कॉउंसलर उपलब्ध कराये मानसिक रूप से असंतुलित पीड़िता से ब्यान लेती है और मजिस्ट्रेट के सामने हाजिर कर देती है। अब, आप सोच सकते हैं की मानसिक ट्रौमा झेल रही पीड़िता कुछ ही घंटो में बिना कॉउंसलर की सहायता से अपना ब्यान कैसे दर्ज कराएगी?
पुलिस ने इस जघन्य अपराध में केवल भारतीय दंड-संहिता की धारा 459, 460, 376 (डी) लगाया, जबकि इन धाराओं के साथ में भारतीय दंड-संहिता की धारा 302, 396 और 397 भी लगनी चाहिए थी मगर पुलिस ने नहीं लगाया। लेकिन, स्थानीय लोगों के भारी दबाव के बाद उपरोक्त सभी धाराएँ लगाई गयीं हैं।
जब पीड़िता को मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है तब परिवार का कोई भी सदस्य साथ में नहीं था।

उपरोक्त सभी बिन्दुओं से प्रशासनिक स्तर पर बरती गयी अनियमितताओं से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है की इस स्थिति में पीड़ितों के ब्यान में काफी फर्क आने की संभावना है।
आरोपित और घटना से उसका संबंध
पुलिस ने चौदह वर्षीय बच्चा को आधार बनाकर स्केच बनाया और स्केच बनाने के थोड़ी देर बाद ही राहुल और अमरजीत को दो और साथी संदीप और करमजीत को गिरफ्तार कर लिया गया। स्केच के बावजूद, हमने कई तथ्यों को जानने का भरसक प्रयास किया।

तावड़ू-गुड़गाँव पथ को पार करने के लिए इसी गाँव के समीप कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे का ओवर-ब्रीज है। इस ओवर-ब्रीज से पीड़ित परिवार का घर मात्र 50 मीटर की दूरी पर है। प्रत्यक्षदर्षियों का मानना है कि दस-बारह के गिरोह में कुछ नवयुवक रोज़ इस पूल पर बैठा करता थे और दारू पिया करता था। घटना से ठीक एक-दिन पूर्व करीब 9:00 बजे शाम को यह नवयुवक पड़ोस के ही एक परिवार के घर पर धावा बोल कर बिजली-बल्ब को तोड़-फोड़ कर रहा था कि घर के पुरूषों से कहा-सुनी हुई और भाग गया।
घटना के दिन भी कुछ ग्रामीणों ने इन सभी नवयुवकों को उसी स्थान पर दारू पीते हुए देखा था। घटना के दिन करीब 9:00 बजे पड़ोस के गोईला मोड़ के ठेके से दारू लाकर पिया है, इस बात की पुष्टि हो चुकी है।
ग्रामीणों का कहना था की लंबे समय से गौ-रक्षा के नाम पर हाईवे से गुजरने वाली सभी बड़ी गाड़ियों से रंगदारी वसूलता था। मगर इस पूरी घटना से ग्रामीणों का कोई सरोकार नहीं था इसलिए ग्रामीण नज़रअंदाज़ कर देते थे। पकड़े गए मुजरिमों की फ़ेसबूक प्रोफ़ाइल को खँगालने की कोशिश करने पर एक मुजरिम राव अमरजीत (छोटू) नाम की इस प्रोफ़ाइल पर मुसलमानों के लिए आपत्तीजनक शब्द का प्रयोग किया गया गया। जबकि दूसरी प्रोफ़ाइल राहुल वर्मा की है और उसने स्वयं को आरएसएस का सदस्य बता रखा है।

अपराध की जघन्यता

हम इस पुरे घटनाक्रम को कई एंगल से देखने की कोशिश करेंगे। इस घटना के तथ्यों को आधारा बनाकर इस को समझने का प्रयास करेंगे। अपराधियों की मंशा को भी आधार बनाने का प्रयास करेंगे।
मान लिया की अपराधी लूट-पाट या डकैती करने आए थे। ठीक है, मान लिया। लूट-पाट में अपराधी डराने-धमकाने के लिए थोड़ी-बहुत मारपीट करता है और सामान लूट कर फरार हो लेता है। बहुत कम केस मे देखा जाता है कि बहू-बेटियों के साथ बलात्कार किया गया हो, लेकिन किसी भी लूट-पाट या डकैती में बलात्कार, हत्या और लूट-पाट एक साथ नहीं होता है। बिहार में नक्सली लूट-पाट के साथ हत्या करते हैं मगर बलात्कार कि घटना को अंजाम नहीं देते हैं
मान लिया अपराधी हत्या कि मंशा लेकर आया था। ठीक, मान लिया। हत्या के पीछे पुरानी रंजिश होती है या बदले कि भावना होती है। पीड़ित परिवार के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। चलो, मान लेते हैं बदले की भावना से भी पुरानी रंजिश भी थी। लेकिन, जब कोई हत्या के मक़सद से आता है तो जिसकी हत्या करनी होती है हत्यारा उसकी हत्या करके फरार हो लेता है। क्रिमिनोलोजी में ऐसा नहीं देखा गया है कि हत्यारा हत्या करने के बाद बलात्कार भी किया हो और उसके बाद लूट-पाट भी किया हो। हो सकता है कि एक-दो उदाहरण अपवाद-स्वरूप मिल जाएँ।
मान लिया कि अपराधी बलात्कार के मक़सद से आया था। ठीक, मान लिया। लेकिन, जो अपराधी बलात्कार के मक़सद से आएगा वह अपनी हवस की पूर्ति करेगा और फ़रार हो लेगा। कई बार ऐसा हुआ है कि बलात्कार में पीड़िता की और उसके किसी परिजन की हत्या भी हो जाती है। मगर, इस केस में मामला बिलकुल अलग है। इस केस में पहले दो लोगों कि हत्या कि जाती है फिर उसके बाद तीन लोगों को चारपाई के साथ बांध कर पीट-पीटकर अधमरा बना दिया जाता है तब उसके बाद दोनों नवयुवती के पास पहुँचकर बलात्कार किया जाता है। चलो, मान लिया कि यह सभी हत्या बलात्कार के विरोध का फलस्वरूप था। ठीक, लेकिन इसके बाद भी लूट-पाट और डकैती।

उपरोक्त तीनों बिन्दु को आधार बनाकर हमने क्रिमिनोलोजी के विशेषज्ञों से संपर्क किया. उन विशेषज्ञों का मानना था कि इतनी जघन्यता का प्रदर्शन एक साधारण डकैती कि घटना या बलात्कार कि घटना या हत्या कि घटना को अंजाम देने के लिए नहीं होता है. यह तबतक संभव नहीं है जबतक अपराधी के मन मे सांप्रदायिकता को न भर दिया जाये या अपराधी सांप्रदायिकता को आधार न बना ले. उपरोक्त तीनों बिन्दु को आधार बनाकर इस बात तक पहुंचा जा सकता है कि यह घटना सांप्रदायिकता को हवा देने कि एक कोशिश थी जिसका सामना मेवात कि छत्तीस बिरादरियों ने बहादुरी के साथ किया है.

नोट- इस अध्ययन मे सहयोग देने के लिए ज़ाकिर रियाज़ भाई और एडवोकेट नूरुद्दीन नूर साहब के साथ-साथ पीड़ित परिवारों का शुक्रिया.

तारिक अनवर चंपारणी

(यह लेखक के निजी विचार है)