हैदराबाद 01 दिसम्बर:शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग के विषय पर एक फ़िक्र अंगेज़ सेमिनार आयोजित हुआ जिस में अस्र-ए-हाज़िर पर गहरी नजर रखने वाले विशेषज्ञों ने शिक्षा को डीजीटलाइज़ करने की एहमीयत और उपयोगिता पर प्रकाश डाली और इसरार के साथ कहा कि उपकरणों शिक्षक की जगह नहीं ले सकता।
शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग से इलम और जानकारी का खजाना तो पहुँचा जा सकता है लेकिन अख़लाक़ किरदार बनाने संवारने शिक्षक की साहचर्य चाहिए।
इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि डिजिटल टेक्नालोजी के आम होने से इलम की रोशनी से सारी दुनिया मुनव्वर हो रही है लेकिन अख़लाक़-ओ-किरदार साज़ी महिज़ सिस्टम पर बैठ कर मुम्किन नहीं। इसके लिए शिक्षक के सामने ज़ानवे साहित्य तय करना होगा।
सेमिनार में इस सवाल पर सैर प्राप्त बहस हुए कि क्या लर्निंग मटीरियल और शिक्षक की जगह ले सकते हैं। निदेशक आई आईआईटी हैदराबाद पी जे नारायण ने इस मौके पर कहा कि वह ऐसे किसी विमान में सवार होना पसंद नहीं करेंगे जो ऐसा व्यक्ति चलाता है जो केवल ऑनलाइन पाठ्यक्रम पढ़े हैं।