हुकूमत ने आज कहा कि इस ने डीज़ल की क़ीमतों पर से अपना कंट्रोल हटाते हुए डी रेगुलेट करने उसूली तौर पर इत्तेफ़ाक़ किया है। लेकिन वो पकवान गैस के लिए भी इसी तरह की तजवीज़ पर ग़ौर नहीं कर रही है। मुमलिकती वज़ीर फायनेंस नामवर निरावन मीणा ने राज्य सभा में एक तहरीरी जवाब देते हुए कहा कि हुकूमत ने उसूली तौर पर डीज़ल की मार्केट क़ीमतों से अपना कंट्रोल हटा लेने पर इत्तेफ़ाक़ किया है।
जबकि पैट्रोल की क़ीमतें मार्केट से मरबूत हैं। हुकूमत पकवान गैस, केरोसीन और डीज़ल की क़ीमतें तय कर रही थी जिस की वजह से सब्सीडीज़ पर कसीर मसारिफ़ आइद हो रहे थे। उन्होंने कहा कि पकवान गैस क़ीमतों को मुकम्मल तौर पर फ़िलहाल डी रेगूलेट करने की तजवीज़ नहीं है। हुकूमत ख़ाम तेल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा के असरात से आम आदमी को बचाने के लिए डीज़ल की क़ीमतें तय करने का काम जारी रखेगी और इफ़रात-ए-ज़र पर क़ाबू पाएगी।
बैन-उल-अक़वामी तेल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा के असरात से आम आदमी को बचाने और अंदरून-ए-मुल्क इफ़रात-ए-ज़र की सूरत-ए-हाल को बेहतर बनाने के लिए हुकूमत डीज़ल की रीटेल फ़रोख्त क़ीमत को मोतदिल बनाएगी। आलमी ख़ाम तेल की क़ीमतें साल 2012 के आग़ाज़ से ही बढ़ती जा रही हैं।
मशरिक़-ए-वुसता में सयासी तशवीश और आलमी सतह पर तेल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा से ये बोझ बढ़ रहा है। ख़ाम तेल की क़ीमत जनवरी में फ़ी बैरल 111 अमेरीकी डॉलर्स थी अब वस्त अप्रैल में इसकी क़ीमत फ़ी बैरल 120 अमेरीकी डॉलर्स हो गई है। जारीया मालीयाती साल केलिए हुकूमत ने 43,580 करोड़ की ऑयल सब्सीडी फ़राहम की है।