महबूबनगर १७ दिसम्बर ( एजैंसीज़) डी ई ओ ऑफ़िस महबूबनगर की आहक पाशी की गई । दफ़्तर की इमारत की दाग़ दोज़ी के इलावा इमारत की दीवारों पर मुख़्तलिफ़ नारों को तहरीर करवाया गया जो कि तेलगो ज़बान में तहरीर हैं और इमारत के बाबुल् दाखिला पर गेट के दोनों बाज़ू क़ौमी रहनमा व इंदिरा गांधी महात्मा गांधी पण्डित नहरू स्वामी विवेका नंद मदर ट्रेसा वग़ैरा की तसावीर उतारी गई ।
लेकिन अफ़सोस मलिक के पहले वज़ीर-ए-ताअलीम-ओ-अज़ीम मुजाहिद आज़ादी मौलाना अब्बू उल-कलाम आज़ाद को नजरअंदाज़ करदिया गया । जिस क़ाइद ने मलिक के पहले वज़ीर-ए-आज़म की हैसियत से मुल्क में तालीमी निज़ाम की मज़बूत बुनियाद डाली बल्कि मुल्क में तालीम को जदीदीयत से जोड़ कर अपनी दूर अंदेशी के ज़रीया तालीम कुमलक के हर तबक़ा हर फ़र्द तक पहुंचाने का काम किया । ख़ुद महिकमा तालीम इस अज़ीम रहनुमा को फ़रामोश करदिया । ये महिकमा तालीम की भूल है या मौलाना आज़ाद के साथ तास्सुबाना रवैय्या है ये महिकमा ओहदेदार ही जानते हैं और ये बात ज़िला में काम कररहे उर्दू असातिज़ा तंज़ीमों केलिए लम्हा फ़िक्र है ।