डेंगू के खिलाफ जंग लड़ने वाला “फरहान हबीब” खुद इसका शिकार होकर हार गया जिंदगी की जंग

नई दिल्ली। डेंगू, मलेरिया, चिकन गुनिया और दूसरी बीमारी के प्रति जागरूक करने में अपने पिता डॉक्टर हबीब रहमान की मदद करने वाला 12 वर्षीय फरहान हबीब खुद डेंगू से पीड़ित हो कर सुबह इस दुनिया से विदा हो गया। परिवार में पिताजी, माँ और बहन हैं। फरहान को 11 अगस्त को बुखार आया था जिसके बाद प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज कराने के बाद 16 अगस्त को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आर एम एल) में भर्ती कराया गया था। उसी समय से वह बाल चिकित्सा आई सी एडमिट था. इलाज के दौरान उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और प्लेट लेट में लगातार कमी आ रही थी। रविवार की रात को उन्हें 107 बुखार आ गया था जो किसी तरह कम नहीं हो रहा था। अंत में गुर्दे भी काम करना बंद कर दिया था।

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फरहान के पिता डॉक्टर हबीब रहमान ने बताया कि डॉक्टरों ने इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दो साल पहले फरहान को डेंगू बुखार हुआ था लेकिन फिर से डेंगू बुखार ने उसकी जान ही ले ली। फरहान जो हमदर्द पब्लिक स्कूल संगम बिहार में सातवें कक्षा का विद्यार्थी था, 13 अगस्त 12 साल का हुआ था। लेकिन वह इस छोटी सी उम्र में अन्य बच्चों के लिए मिसाल कायम कर गया। वह हर राष्ट्रीय दिवस यानी गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन दो अक्टूबर के मौके पर जामिया नगर के अबुल फ़ज़ल एन्क्लेव, बटला हाउस और जाकिर नगर में स्वास्थ्य जागरूकता रैली में भाग लेता था। अपने पिता डाक्टर हबीब रहमान के स्वास्थ्य शिविर में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता था। वे रोगियों और आम लोगों को डेंगू, चिकन गुनिया, मलेरिया और अन्य मौसमी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पमफलेट, पर्चे और इससे संबंधित अन्य सामान वितरित करता था। वह छह सात स्वास्थ्य शिविर में भाग लेता था। इस बार डेंगू से पीड़ित होने के कारण स्वास्थ्य रैली में शरीक नहीं हो सका था जिसका उन्हें बेहद अफसोस था।