डेसक पर तवील वक़्त तक बैठना मुलाज़मीन केलिए नुक़्सानदेह :माहिरीन

लंदन। 15 जनवरी ( एजैंसीज़ ) पेशावराना माहिरीन नफ़सियात ने कहाहै कि काम के दौरान लंबे वक़्त तक बैठना मुलाज़मीन की दिमाग़ी और जिस्मानी सेहत केलिए नुक़्सानदेह है। ये बात एक नई स्टडी के तनाज़ुर में बताई गई है जिस से मालूम हुआ है कि दफ़्तरी मुलाज़मीन रोज़ाना औसतन पाँच घंटे और 1मिनट अपने डैसक पर बैठे हुए गुज़ारते हैं ओर वक़्त उन के रात के सोने के वक़्त के तक़रीबन बराबर है।

1000 मुलाज़मीन से किए गए इस सर्वे से ये भी मालूम हुआ कि जो अफ़राद काम के दौरान तवील वक़्त तक बैठे रहते हैं वो घर में भी ज़्यादा वक़्त बैठे हुए गुज़ारते हैं। लाफ बरू योनियो सिटी के माहिरीन नफ़सियात डाक्टर मियाना डनकीन, आदिल क़ाज़ी और प्रोफ़ैसर चेरिल हसलम जिन्हों ने ये स्टडी की , का कहना है कि तवील वक़्त केलिए डैसक पर बैठना मुलाज़मीन के दिमाग़ी और जिस्मानी सेहत केलिए नुक़्सानदेह है।

डाक्टर डनकीन का कहना है कि किसी को इस बात केलिए नफ़सियात दान की ज़रूरत नहीं कि इस से कहा करे कि उठूं और चहलक़दमी करूं ताहम अगर कोई समझता है कि किसी को इस से फ़ायदा होगा तो बेहतर है कि वो अपने कम्पयूटर में याद देहानी केलिए पोस्ट इन नोट लिख दे। इन का कहना है कि किसी काअठ कर अपने दफ़्तरी साथी के पास जाकर इस से रूबरू बातचीत करना उसे ई मेल करने से बहुत ज़्यादा बेहतर है। ये रिसर्च आज ब्रिटिश साईकालोजीकल सोसाइटी के सालाना पेशावराना नफ़सियाती कान्फ़्रैंस में पेश की जाएगी।