लखनऊ। आरएसएस चीफ मोहन भागवत अपने पांच दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे के अंतिम दिन 20 अगस्त को आगरा में होंगे। इस दौरान वह संघ के एक दलित कार्यकर्ता के आवास पर दोपहर का भोजन करेंगे। बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रस्तावित आगरा रैली के मात्र एक दिन पहले उनका ताज नगरी आना, डैमेज कंट्रोल की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि उनका जिस तरह से यह कार्यक्रम बना है उसमें सफलता की गुंजाइश कम ही दिखती है।
मायावती 21 अगस्त को आगरा में विशाल रैली कर अपने चुनावी अभियान का आगाज़ करने जा रही हैं। इसकी सफलता केलिए व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं। बसपा की ओर से दावा किया गया है कि यह रैली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभाओं के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी। इसको लेकर उत्तर प्रदेश के दलित खासे उत्साहित हैं। पार्टी के लोगों ने रैली की सफलता में पूरी ताकत झोंक दी है।
इससे पहले 31 जुलाई को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की आगरा में रैली हुई थी,पर दलित बिरादरी से खास समर्थन नहीं मिला था। ऊना की घटना और दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती को अपशब्द कहने से प्रदेश का दलित वर्ग भाजपा से और दूर ही गया है। यह स्थिति आगे भी रही तो भाजपा लोकसभा चुनाव जैसा परिणाम यूपी में नहीं दोहरा पाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में आश्चर्यजनक ढंग से दलित वर्ग बसपा छोड़ भाजपा के पक्ष में आ गया था। इसके कारण भाजपा सूबे के 80 में से 70 सीटें जीत गई थी। मगर बाद में भाजपा दलितों को अपने साथ जोड़े रखने में असफल रही। खासकर हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला और गुजरात के दलितों के साथ हाल में जो कुछ हुआ उससे दलितों का भाजपा से पूरी तरह मोहभंग हो गया है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो भाषणों में दलितों पर अत्याचार की कड़े शब्दों में निंदा कर चुके हैं। मगर उसे चुनावी मौसम का भाषण करार देकर ख़ारिज कर दिया गया।
राजनीति के जानकर मानते हैं कि आगे भी दलित यूँ ही भाजपा से खफा रहे तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिलना मुश्किल हो जाएगा। इस विकट स्तिथि से भाजपा को उबारने के लिए संघ परिवार चुनाव की कमान खुद थामे हुए है। खास रणनीति के तहत ही संघ प्रमुख पांच दिवसीय उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। उनका मायावती की रैली से एक दिन पहले आगरा जाने और वहां के एक दलित राजेन्द्र चौधरी के यहाँ दोपहर के भोजन का कार्यक्रम, डैमेज कंट्रोल के प्लान का हिस्सा माना जा रहा है। हालाँकि चौधरी के एक जूता कंपनी के मालिक होने से भागवत के इस प्रयास को शायद ही सफलता मिल पाए। बसपा नेताओं की इसपर कड़ी प्रतिक्रिया है। उनका कहना है कि भाजपा ऐसी नौटंकी करना बंद करे। भागवत को दलितों के प्रति प्रेम ही दिखाना था तो पैसे वाले की जगह किसी फटेहाल दलित के यहाँ भोजन करते।
लखनऊ से एम ए हाशमी