डॉक्टरों के प्राइवेट क्लिनिक में मरीजाें को भरती पर पाबंदी, डॉक्टरों का आंदोलन की तैयारी

रांची : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की बैठक रविवार को आइएमए भवन में हुई. निर्णय लिया गया कि अगर स्वास्थ्य सचिव के विद्यासागर अपना आदेश वापस नहीं लेते हैं, तो राज्य के चिकित्सक आंदोलन करेंगे. इसके लिए आइएमए ने स्वास्थ्य सचिव को 15 सितंबर तक का समय दिया है. आइएमए, झारखंड के अध्यक्ष डॉ एके सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव का फरमान पूरी तरह गलत है. मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट स्वास्थ्य सचिव के कारण ही लागू नहीं हो पा रहा है.

एसोसिएशन के सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि ड्यूटी के बाद चिकित्सक क्या करते हैं, इसका पता करने का अधिकार स्वास्थ्य सचिव को नहीं है. हम क्रिकेट खेलें, फिल्म देखें या मरीज को देखें. इसका हिसाब सचिव को नहीं रखना चाहिए. अगर वह एनपीए देते, तो प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगा सकते थे. आेपीडी का जो समय उन्होंने निर्धारित किया है, वह देश में कहीं नहीं है.

पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अजय सिंह ने कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक एनपीए लेते हैं, तो उन्हें प्रैक्टिस नहीं करना चाहिए. इसकी जांच करने की जिम्मेदारी वीसी स्तर से होनी है. इसके लिए कमेटी है, वह जांच करें. बैठक में डॉ विमलेश सिंह, डाॅ आरएस दास, डॉ अमित मोहन, डॉ चंद्रशेखर, डॉ रंजीत सिंह, डाॅ आरके सिंह, डाॅ मृत्युंजय, डॉ सतीश आदि मौजूद थे.

आइएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि सदर अस्पताल पर राजनीति हो रही है. जो सरकार आती है, वह अपने हिसाब से बातचीत करती है. एक बार रिम्स का स्पेशल विंग लाने की बात हुई. इसके बाद मेदांता और अब नारायण हृदयालय को देने की बात हो रही है. सरकार इसे मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित करे.

ये थे सचिव के आदेश

ओपीडी सुबह नौ बजे से नौ बजे तक
चिकित्सकों के निजी क्लिनिक में मरीजाें को भरती करने पर पाबंदी
निजी डाइग्नोस्टिक सेंटर में काम करने पर पाबंदी

आइएमए के सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि सचिव अपने मन से यह निर्णय लिये हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने इस आदेश से अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. डॉ सिंह ने कहा कि यह निर्णय सचिव को लेने का अधिकार नहीं है, यह कैबिनेट से पास होना चाहिए.