डॉक्टरों को हर पांच साल के भीतर एक्जाम देकर खुद को डॉक्‍टरी की काबलियत साबित करना होगा

दिल्ली : मोदी सरकार जल्‍द ही हेल्‍थ सेक्‍टर में कई बदलाव करने जा रही है. पहला बड़ा फैसला यह होगा कि देश के हर डिग्रीधारक डॉक्‍टर को हर तीन से पांच साल के भीतर एक पेपर देकर खुद को डॉक्‍टरी के योग्‍य साबित करना होगा. MBBS और MD डिग्रीधारक हर डॉक्‍टर को अब अपनी डिग्री बचाने के लिए तीन से पांच साल के भीतर एक अनिवार्य परीक्षा देनी होगी और उसे पास करना होगा. अगर ऐसा होता है तो यह हेल्‍थ सेक्‍टर में होने वाले अहम बदलावों का पहला बड़ा कदम होगा. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय अगले साल के आरंभ से यह नियम लागू कर सकता है.

दरअसल इस नियम को इसलिए लाया जा रहा है जिससे देश भर से फर्जी डॉक्‍टरों को समाप्‍त किया जा सके. अब सरकार ने इसके लिए इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन यानी IMA से अपने विचार देने को कहा है. इस तरह का पैटर्न अमेरिका और यूरोपीय देशों में पहले से है. ऐसा कहा जा रहा है कि सेंट्रल गर्वमेंट हेल्‍थ स्‍क्रीम यानी CGHS और इंप्‍लाइज स्‍टेट इंश्‍योरेंस हॉस्पिटल्‍स में सबसे पहले ये एग्‍जाम देना बाध्‍य किया जाएगा. एक बार सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा.

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो हेल्‍थ सेक्‍टर में जल्‍द ही बड़े स्‍तर पर बदलाव होने जा रहे हैं, जिन पर अंतिम मुहर केंद्रीय मंत्रीमंडल की लगेगी. यह भी कहा जा रहा है कि एक कठोर कदम यह उठाया जा सकता है कि छात्रों के खराब परफामेंस के आधार पर किसी भी सरकारी या प्राइवेट कॉलेज की वैधता रद्द हो सकती है. गौरतलब है कि अगले साल के आरंभ से स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय एक राष्‍ट्रीय प्रमाणन बॉडी का गठन करेगा, जो प्रावइेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सक्षमता को समय-समय पर जांचेगा और सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा.