डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन के आबाई मकान पर कमर्शियल कामप्लेक्स!

जद्दो जहद आज़ादी में हिस्सा लेने वाले मुजाहिदीन आज़ादी का हमारे मुल्क में बहुत एहतेराम किया जाता है। जो गुज़र चुके हैं उन की याद में मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर उन के मुजस्समे नसब किए गए हैं। अमली तहज़ीबी और सक़ाफ़ती मराकज़ और सरकारी स्कीमात को उन से मानून किया गया है। सड़कों, इलाक़ों अज़ला को उन के नाम दिए गए हैं। उन की याद में डाक टिकिट्स जारी और अवार्ड्स तक क़ायम किए गए।

यहां तक कि उन की यौमे पैदाइश और यौमे वफ़ात भी बड़े एहतेमाम से मनाया जाता है जबकि बक़ीदे हयात मुजाहिदीन आज़ादी की ग़ैर मामूली पज़ीराई की जाती है। उन के ख़ानदानों से मिसाली सुलूक रवा रखा जाता है, उन्हें ज़िंदगी की हर सहूलत फ़राहम की जाती है। हिंदुस्तान दुनिया का ऐसा मुल्क है जहां बेशतर मुजाहिदीन आज़ादी और क़ौमी क़ाइदीन के मकानात को यादगारों और म्यूज़ीयम्स में तबदील कर दिया गया है।

हिंदुस्तान के तीसरे सदर जम्हूरीया और फ़र्ज़ंद दक्कन डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन 8 फ़ेब्रुअरी 1897 को हैदराबाद के तारीख़ी मुहल्ला बेगम बाज़ार में पैदा हुए और 72 साल की उम्र में 3 मई 1969 को इस दारे फ़ानी से कूच कर गए। डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन के आबाई मकान को किसी हुकूमत ने भी एक तारीख़ी यादगार और म्यूज़ीयम में तबदील करने की कोशिश नहीं की बल्कि अपनी ख़ामूशी और बेहिसी के ज़रीए उसे फ़रोख़त करने की राह हमवार की।

बेगम बाज़ार मछली बाज़ार के बिलकुल क़रीब ख़ुश्क मेवाजात की मार्किट में वाक़े 495 मुरब्बा गज़ अराज़ी पर मुहीत इस तारीख़ी मकान जहां भारत रत्न डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन पैदा हुए थे और उन के बचपन का कुछ हिस्सा यहां गुज़रा था।

मुक़ामी लोगों ने बताया कि संजय कुमार भाई और अजए कुमार भाई इस इमारत को मुनहदिम करके एक कमर्शियल कामप्लेक्स तामीर करने के ख़ाहां हैं और इस के लिए उन लोगों ने कुछ अर्सा क़ब्ल इस के कुछ हिस्सों को मुनहदिम करने की कोशिश की लेकिन मुक़ामी अवाम की मुदाख़िलत पर इन्हिदाम को रोक दिया गया।

दूसरे भाई डॉक्टर महमूद हुसैन ख़ान 1960 ता 1963 ढाका यूनीवर्सिटी और 1971 से अपनी मौत 1975 तक ढाका यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे। डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन के आबाई मकान से ग़फ़लत के मुआमले में जहां हुकूमतें ज़िम्मेदार हैं वहीं ख़ुद उन के नवासे मर्कज़ी वज़ीरे ख़ारजा सलमान ख़ुरशीद भी अपना दामन नहीं बचा सकते। वो हैदराबाद तो आते हैं लेकिन उन्हें अपने मरहूम नाना के आबाई मकान को देखने उस का जायज़ा लेने की फ़ुर्सत नहीं मिली। abuaimalazad@gmail.com