हैदराबाद 15 दिसंबर: हैदराबाद मेट्रोपोलिटन सेशन कोर्ट ने बानी तंज़ीम असलाहु अलमुस्लिमीन डॉ जलीस अंसारी उर्फ़ डॉ बम को साल 1993 में पेश आए सिलसिला-वार बम धमाका केस में बरी कर दिया।
56 साला जलीस अंसारी जो बी यू एम एस डाक्टर हैं, ने अपने दुसरे साथीयों की मदद से बाबरी मस्जिद की शहादत की इंतेक़ामी कार्रवाई के तौर पर हैदराबाद के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में मुबय्यना तौर पर बम धमाके किए थे। अंसारी को साल 1994 में पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था और तहक़ीक़ात में ये पता चला के बाबरी मस्जिद की शहादत की इंतेक़ामी कार्रवाई के तौर पर उसने तंज़ीम असलाहु अलमुस्लिमीन क़ायम की जिसके ज़रीये गुलबर्गा (कर्नाटक), जयपूर (राजिस्थान) और हैदराबाद में बम धमाके किए थे।
12 अगस्त 1993 में तंज़ीम के अरकान ने हुमायूँनगर और आबिड्स पुलिस स्टेशनस के अहातों में बम धमाके किए थे और उसने पुलिस स्टेशन से मुत्तसिल दीवार मुनहदिम हो गई थी और इस वाक़िये में दूकान का वाचमैन ज़ख़मी हो गया था। इसी तरह 12 सितंबर 1993 में मज़कूरा तंज़ीम के अरकान ने सिकंदराबाद सेंट्रल रेलवे रिज़र्वेशन काउंटर के क़रीब एक बम धमाका किया था जिसमें रेलवे के दो मुलाज़िमीन हलाक और एक ज़ख़मी हुआ था।
जलीस अंसारी के साथीयों शम्सुद्दीन, ज़हीरुद्दीन अहमद, अज़ीमुद्दीन, नज़ीरुद्दीन , मुहम्मद यूसुफ़ और मुहम्मद अंसारी मुतवत्तिन कर्नाटक और ग़ौस मुहम्मद पाशाह और अज़ीजुद्दीन अहमद साकिन हैदराबाद को गिरफ़्तार किया था लेकिन 22 जून 2007 को यहां की एक मुक़ामी अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
डॉ जलीस अंसारी तवील अरसा से राजिस्थान के ज़िला अजमेर जेल में महरूस है, क्युंकि उसे जयपूर सिटी में बम धमाका केस में उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी जबकि मुंबई सिलसिला-वार बम धमाके में शामिल होने पर सी बी आई की ख़ुसूसी अदालत ने उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। 19 साल के तवील अरसा बाद स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने जारीया साल जलीस अंसारी को हैदराबाद मुंतक़िल करते हुए उस के ख़िलाफ़ एक मुक़द्दमा चलाया था लेकिन इस्तिग़ासा इल्ज़ामात साबित करने में नाकाम रहा।
नामपली क्रीमिनल कोर्ट के सीनीयर वकील मुहम्मद मुज़फ़्फ़र उल्लाह ख़ान शफ़ाअत एडवोकेट ने कामयाब तौर पर जलीस अंसारी और उनके साथीयों की पैरवी की जिसके सबब मुल्ज़िमीन केस में बेक़सूर साबित हुए।