डॉ जाकिर नाइक को चर्चा का विषय बनाना, सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश: जमाते इस्लामी

नई दिल्ली: वैश्विक प्रतिष्ठित, भारत की अग्रणी व्यक्ति डॉक्टर ज़ाकिर नायक को सरकार के कुछ लोगों और मीडिया के कुछ कोनों ने नकारात्मक तरीके से बातचीत का विषय बनाने से जिस तरह की कोशिश की जा रही है उसे जमाते इस्लामी ने संविधान में विश्वास वाठहार विचार की गारंटी और सुरक्षा के साथ संघर्ष, अनावश्यक, फुजूल और दुर्भाग्यपूर्ण प्रक्रिया बताते हुए इससे बचने की सलाह दी है।

उप अमीर जमाते श्री नुसरत अली ने कहा कि डॉ। जाकिर नाइक देश के अन्य धर्मों के सैकड़ों प्रसिद्ध हस्तियों की तरह इस दौर के सभी संभव मीडिया के माध्यम से घरेलू और वैश्विक स्तर पर भारतीय संविधान की सीमाओं का सम्मान करते हुए विनम्र, सभ्य और ज्ञान शैली में इस्लाम के संदेश एकेश्वरवाद, रिसालत की शिक्षा बेहद सुखद वातावरण में पेश करते रहे हैं, जिसे देश ही नहीं बल्कि दुनिया के करोड़ों लोग वर्षों से ध्यान और रुचि से सुनते रहे हैं और उनमें कभी संविधान और नैतिकता के खिलाफ कोई बात महसूस नहीं की गई। आश्चर्य है कि अब अचानक उनकी मानव सेवा के विश्लेषण की आवश्यकता का उल्लेख करके और उसे एक विशेष रंग दे कर मुल्क में पहले से तनावपूर्ण सांप्रदायिक माहौल खराब करने की अवांछनीय कोशिश की जा रही है।

अगर इस अभ्यास को कुछ हलकों कि तरफ से राजनीतिक हितों के मद्देनजर दादरी, इटली, कैराना, मुस्लिम संस्थाओं के अल्पसंख्यक, समान नागरिक संहिता आदि शीर्षकों का क्रम करार दिया जाए तो शायद गलत न हो। जमात के भारतीय उप अमीर ने कहा कि सरकार और मीडिया के लिए समय और अस्थायी हितों के अधिग्रहण हेतु ऐसे कदम और व्यवहार उचित नहीं हैं, जिनसे संविधान की आत्मा पर चोट पड़ती हो, घरेलू परंपराओं का उल्लंघन होता हो और देश-दुनिया भर में वतन की छवि विरूपण होती हो। श्री नुसरत अली ने कहा कि देश में बुनियादी प्रकृति के कई समस्याएं हैं। जैसे विदेशी बहु काला धन देश में लाने से लेकर गरीबी और गरीबी का निवारण और निर्माण और विकास के सैकड़ों अधूरे काम जिनकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार उनके द्वारा ईमानदारी से ध्यान करे तो अधिक उपयुक्त है और यह उसकी जिम्मेदारी भी है।