डॉ सिद्दीक मुजिबी का इंतकाल : अदीब के खजाने का बड़ा हिस्सा दफन

मैं मर जाता सितम यह है कि दिल मरने नहीं देता है, मुझे आसनियां मिलती है, यह दुश्वार करता है .. कुछ इस तरह की शेर-ओ-शायरी के बेताज बादशाह शरीक बिहार उर्दू एकेडमी के साबिक़ नायब सदर डॉ सिद्दीक मुजिबी जुमेरात को हमेशा-हमेशा के लिए जुदा हो गये।

उनके इंतिक़ाल से उर्दू अदीब को एक बड़ी नुकसान हुई है। जुमेरात को अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान दिन के 12.45 बजे इंतिक़ाल हो गयी। वह गुजिशता कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके इंतिक़ाल से गम की लहर दौड़ गयी। उन्हें खेराज़े तहसीन देने काफी तादाद में तमाम मजहब व तबके के लोग आये थे। उनके जनाजे में इतनी भीड़ थी कि चाह कर भी लोग उन्हें कंधा नहीं दे पा रहे थे।

बाद नमाज अस्र मिट्टी दी गयी

डॉ सिद्दीक मुजिबी को बाद नमाज अस्र मिट्टी दी गयी। सैयद मौलाना सिबली ने जनाजे की नमाज पढ़ायी। उन्हें अपने अहले खाना के कब्र के बगल में ही मिट्टी दी गयी। मिट्टी देने आये लोगों ने कहा कि इसी जगह पर उनकी बीवी, वालिद, भाई और एक बेटा को मिट्टी दी गयी थी।

कई लोगों ने गम ज़ाहिर किया

उनके इंतिक़ाल पर दारुल हुकूमत के कई लोगों ने गम ज़ाहिर किया है। गम ज़ाहिर करने वालों में साबिक़ वकील सोहेल अनवर, एदारे शरिया के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी, इरफान गनी, रणोंद्र, प्रशांत, डॉ परवेज हसन, एमजेड खान, निहाल, मोख्तार अहमद, हाजी मतलूब इमाम, गुलफाम मुजीबी, प्रो परवेज आलम, अलीमुद्दीन खान, हाजी फारुख गद्दी, मौलाना कमरुउद्दीन, नौशाद खान, परवेज आलम, सरवर साजिद, मौलाना तहजीबूल हसन, नसीर अफसर, सहाफ़ि जमशेद कमर, प्रो सज्जाद अहमद, सोहेल सईद, अनवर सुहैल, इमित्याज आलम, मेराज खान, खुर्शीद हसन रूमी, हाजी रउफ गद्दी नदीम खान, तनवीर समेत दीगर लोग शामिल थे।