डोरंडा थाना इलाक़े में गुजिशता 24 अप्रैल को बच्ची की इश्मतरेज़ि के बाद कत्ल के मामले में पुलिस ने फिर से जांच शुरू की। जांच में पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले हैं। पुलिस ने जांच में पता लगाया है कि बच्ची की कत्ल में किसी जान पहचान का हाथ है, लेकिन इस मामले में कोई बयान देनेवाला नहीं मिल रहा है। ऐसी हालत में पुलिस को इल्ज़ाम साबित करने में परेशानी हो रही है, ताकि जिस पर पुलिस को खदशा है, उसके खिलाफ आगे की कार्रवाई हो सके। पुलिस दीगर सुबूत की तलाश में जुट गयी है।
गौरतलब है कि वाकिया के दूसरे दिन बच्ची की लाश बरामद हुआ था। इसे लेकर डोरंडा थाना में नामालूम के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस ने मामले में सद्दाम नाम के एक नौजवान को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन पुलिस उस पर इल्ज़ाम साबित नहीं कर पायी। इस वजह से उसे जमानत मिल गयी। पुलिस ने सद्दाम का पॉलीग्राफी टेस्ट कराया था। सुराग नहीं मिलने के बाद पुलिस ने सद्दाम किरदार को मशकूक बताते हुए उसके खिलाफ फाइनल रिपोर्ट अदालत को भेजी थी।
क्या था डीजीपी की जायजा रिपोर्ट में
डीजीपी ने अपने जायजा रिपोर्ट में लिखा है कि डोरंडा थाना वाकेय जिस मुस्तफा के घर में नाबालिग अपने वालिद के साथ रहती थी, वह नाबालिग के वालिद का रिश्तेदार है। मुस्तफा हमेशा बीमार रहता था. इस वजह से वह अपने हिस्से का जमीन बच्ची ने नाम पर लिखना चाहता था। डीजीपी ने डोरंडा इंस्पेक्टर को इस नुक्ते पर जांच करने की हिदायत दिया है। मामले में आज़ाद गवाह से बयान लेने की हिदायत दिया गया है। इसके साथ ही डीजीपी ने अपने जायजा रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र किया है कि पुलिस मामले में सरवरी बेगम का बयान दर्ज करें। इसके साथ ही जरूरत पड़े तो उसका पॉलिग्राफी टेस्ट भी कराये।
पुलिस की रिपोर्ट पर हाइकोर्ट ने अदम इतमीनान जाहिर किया था
जांच के बाद पुलिस की रिपोर्ट पर हाइकोर्ट ने अदम इतमीनान जाहिर किया था। हाइकोर्ट ने मामले की जायजा की हिदायत डीजीपी को दिया था। डीजीपी ने गुजिशता 25 मई को मामले की जायजा कुछ नुक्तों पर जांच के लिए डोरंडा पुलिस को हिदायत दिया था। इसके बाद फाइल फिर से खोली गयी।