ड्रविड ने 16 बरस तवील बैन-उल-अक़वामी कैरीयर को ख़ैरबाद कह दिया

क्रिकेट की तारीख़ के दूसरे सब से कामयाब बैटस्मैन और हिंदूस्तानी टीम में गुज़शता एक दहिय से ताक़तवर मिडिल आर्डर बैटस्मैन राहुल ड्रविड ने आज अपने 16 साला बैन-उल-अक़वामी कैरीयर को ख़ैरबाद कह दिया है ।

39 साला ड्रविड और हिंदूस्तानी टीम के साबिक़ कप्तान टीम के तीन सीनीयर खिलाड़ियों में ऐसे पहले खिलाड़ी है जिन्होंने बैन-उल-अक़वामी क्रिकेट से सुबकदोशी का आज ऐलान कर दिया है । जब कि सचिन तेंदुलकर और वि वि एस लक्ष्मण उनकी सफ़ में शामिल हैं जो कि मायूसकुन दौरा-ए-आस्ट्रेलिया से वापस हुई हिंदूस्तानी टीम का हिस्सा है ।

आज यहां इन चिन्नास्वामी स्टेडीयम में मुनाक़िदा एक प्रेस कान्फ्रेंस में अपनी सुबकदोशी का ऐलान करने वाले राहुल ड्रविड ने मीडीया नुमाइंदों के रूबरू कहा कि मैं बैन उल अक्वामी क्रिकेट और डोमेस्टिक फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट से सुबकदोशी का ऐलान करना चाहता हूँ ।

16बरस क़ब्ल मैंने हिंदूस्तान के लिए पहला टेस्ट खेला था लेकिन अब वक़्त आ चुका है कि मैं बैन-उल-अक़वामी क्रिकेट से किनारा कशी इख़तियार करूं । ड्रविड ने मज़ीद कहा कि उन्होंने कभी ये नहीं सोचा था कि हिंदूस्तान के लिए खेलते हुए इन का बैन-उल-अक़वामी कैरीयर इतना तवील होगा और जब वो पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें कई ऐसे लोग मिलते हैं जिनका वो शुक्रिया अदा करना चाहते हैं ।

ड्रविड ने कहा कि बैंगलौर में जब उन्होंने अपनी क्रिकेट का आग़ाज़ किया तो जूनीयर कोच्स जूनीयर नैशनल कैंम्पस ने कई माहिरीन ने उनकी मदद की । इलावा अज़ीं उन्होंने जिस कप्तान की सरपरस्ती में खेली और उनकी क़ियादत में जिन खिलाड़ियों मैंने उन का तआवुन दिया उन्हों सभी से इज़हार-ए-तशक्कुर किया ।

उन्होंने मज़ीद कहा कि 30 बरस की उम्र में बैन-उल-अक़वामी सतह पर एक बेहतरीन खिलाड़ी के तौर पर खेलने में जिन कोच्स और फ़िज़ियो के इलावा दीगर मुआविन अमला ने उन की मदद की वो इनका भी शुक्रिया अदा करते हैं । प्रेस कान्फ्रेंस में राहुल ड्रविड के हमराह बी सी सी आई के सदर इन श्री निवासन् और टीम के साबिक़ कप्तान अनील कुंबले भी मौजूद थे ।

हिंदूस्तानी टीम में अपनी ख़ुशगवार यादों का तज़किरा करते हुए ड्रविड ने कहा कि वो ख़ुद को ख़ुशकिस्मत समझते हैं कि वो हिंदूस्तानी टीम का उस वक़्त हिस्सा रहे जब हिंदूस्तान ने घरेलू और बैरूनी सीरीज़ों में बेहतरीन मुज़ाहिरे किए नीज़ चंद साथी खिलाड़ी हिंदूस्तान ही नहीं बल्कि बैरूनी सतह पर लीजेंडस की हैसियत हासिल कर चुके हैं और उन का साथी होने पर ड्रविड ख़ुद को ख़ुशकिस्मत तसव्वुर करते हैं ।

उन्हों ने मज़ीद कहा कि साथी खिलाड़ियों से भी उन्हें सीखने का मौक़ा मिला नीज़ एक मज़बूत दोस्ती इनके लिए किसी अनमोल तोहफ़ा से कम नहीं । ड्रविड ने अपने 16साला तवील कैरीयर के दौरान शायक़ीन की जानिब से मिलने वाली मुहब्बत और इज़्ज़त पर भी अपने शायक़ीन से इज़हार-ए-तशक्कुर किया ।

राहुल ड्रविड जिन का दौरा-ए-आस्ट्रेलिया इंतिहाई मायूसकुन रहा जैसा कि उन्हों ने टेस्ट की 8 इनिंस्ज़ में 24.25 की औसत से सिर्फ 194 रन स्कोर किए । यही नहीं बल्कि वो 8 इनिंग्ज़ में 6मर्तबा बोल्ड हुए । आस्ट्रेलिया के मायूसकुन दौरा के बाद उम्मीद की जा रही थी कि ड्रविड का कैरीयर ख़तम हो चुका है और आज उन्होंने सुबकदोशी का फ़ैसला करते हुए इस गुमान को यक़ीन में बदल दिया है ।

ड्रविड जिन्होंने दौरा इंगलैंड पर ही वंडे क्रिकेट से सुबकदोशी इख्तेयार की थी जून 1996 में अपने कैरीयर का आग़ाज़ करने वाले राहुल ड्रविड को बैटिंग में इस्तेक़लाल की वजह से दीवार लक़ब दिया गया है । राहुल ड्रविड 164 टेस्ट मुक़ाबलों में हिंदूस्तान की नुमाइंदगी करते हुए 52.31 की औसत से 13,288 रंज़ स्कोर किए हैं जो कि तेंदुलकर 188 टेस्ट में 15,470 के बाद सब से ज़्यादा रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं ।

ड्रविड ने अपने इस टेस्ट कैरीयर में 36 सेंचुएयरीयाँ और 63 निस्फ़ सेंचुएयरीयाँ भी स्कोर की हैं । जब कि पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 270 रन इन का आज़म तरीन इन्फ़िरादी मुज़ाहरा है । ड्राविड ने 344 वंडे मुक़ाबलों में 39.16 की औसत से 10,889 रन स्कोर किए जिसमें 12 सेंचुएयरीयाँ और 83 निस्फ़ सेंचुएयरीयाँ शामिल हैं ।

अक्टूबर 2005 से सितंबर 2007 ड्रविड की कप्तानी में हिंदूस्तान ने वेस्ट इंडीज़ और इंगलैंड के ख़िलाफ़ बैरूनी सीरीज़ों में फ़ुतूहात हासिल की थी लेकिन 2007 वर्ल्ड कप में हिंदूस्तानी टीम पहले ही राउंड से बाहर हो गई थी । ड्राविड ने 25 टेस्ट और 79 वंडे मुक़ाबलों में हिंदूस्तानी की कप्तानी की है ।

ड्रविड के नाम 210 टेस्ट कैच्स दर्ज हैं जो कि एक आलमी रिकार्ड है। जिन्होंने इस दौड़ में मार्क वा को पीछे छोड़ा है । इलावा अज़ीं वंडे में उन्होंने 196 कैच्स लिए हैं । ड्राविड ने आस्ट्रेलिया में नाक़िस मुज़ाहिरों को सुबकदोशी की वजह क़रार देने से इनकार किया है ।