नई दिल्ली, 09 जनवरी( पी टी आई) डायरेक्टर राजेंद्र नाथ का हिन्दी ड्रामा मोहन दास जो दरअसल आम आदमी से मुताल्लिक़ है जो अपनी शनाख़्त खो चुका है 5 वीं भारत रंग महा उत्सव में पेश किया और उस वक़्त शायक़ीन की तादाद क़ाबिल ए लिहाज़ थी। हिंदूस्तानी थिएटर में राजेंद्र नाथ का नाम मुहताज तआरुफ़ नहीं ।
मज़कूरा ड्रामा उदय प्रकाश नामी हिन्दी मुसन्निफ़ के नावेल से अख़ज़ किया गया था जिसमें माबाद आज़ादी हिंदूस्तान का मंज़र पेश किया गया है । ड्रामा तंज़िया है जहां आम आदमी की मुश्किलात को पेश किया गया है कि किस तरह आला ज़ात के लोगों ने आम आदमी को शनाख़्त और मुलाज़मत का सरका कर लिया है ।
ड्रामा के नाम से ये महसूस होता है कि वो महात्मा गांधी की ज़िंदगी पर मबनी होगा लेकिन दरअसल महात्मा गांधी की ज़िंदगी को इस ड्रामा में नहीं पेश किया गया है जबकि कुछ किरदार जैसे पुतली बाई और कस्तूरी ऐसे हैं जिन्हें पढ़ कर महात्मा गांधी से मुताल्लिक़ ख़्यालात ज़हन में आते हैं ।
मिस्टर नाथ ने वज़ाहत करते हुए कहा कि उनके नज़दीक मोहन दास नाम दरअसल सच्चाई की नुमाइंदगी करने वाला है जिसका बदउनवान लोगों ने ग़लत इस्तेमाल किया । राजेंद्र नाथ ऐसे डायरेक्टर हैं जिन्होंने क़ब्लअज़ीं मशहूर ड्रामा निगारों विजय तेंदुलकर गिरीश कर्नाड भीष्म साहनी मोहन राकेश और सतीश आलेकर की तसनीफ़ात पर भी ड्रामे स्टेज किए हैं ।
मिस्टर नाथ ने कहा कि उन्होंने कहानी में ज़्यादा तब्दीलीयां नहीं की हैं लेकिन थिएटर फार्मेट में बैठाने के लिए उन्होंने कुछ तब्दीलीयां ज़रूर की हैं ।